आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, संक्रमण और मस्तिष्क रोगों के उपचार में खुला नया रास्ता

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जोधपुर{ गहरी खोज }: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म जीवों पर हो रहे शोध में बड़ी प्रगति की है। यह शोध संक्रमणों की रोकथाम से लेकर मस्तिष्क स्वास्थ्य की सुरक्षा तक लोगों की जि़ंदगी को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने की नई राह खोल रहा है।
आईआईटी जोधपुर के बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग की फंक्शनल एमीलॉइड बायोलॉजी लैब एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नेहा जैन के नेतृत्व में काम कर रही है। यह टीम एमीलॉइड संरचनाओं का अध्ययन कर रही है, जो संक्रमण को जटिल और उपचार को कठिन बना देती हैं। डॉ. जैन की टीम ने हाल ही में ऐसे एमीलॉइड अवरोधक खोजे हैं, जो न केवल बैक्टीरिया में, बल्कि मानव शरीर में भी हानिकारक एमीलॉइड जमाव को रोक सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मस्तिष्क में एमीलॉइड का जमाव अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इस खोज से संक्रमण और मस्तिष्क रोग दोनों के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव की संभावना है। इस शोध का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे मस्तिष्क रोगों का प्रारंभिक चरण में पता लगाया जा सकता है, जो अब तक चिकित्सा जगत के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। इससे नई दवाओं और उपचार विधियों के विकास का रास्ता खुलता है।
डॉ. नेहा जैन ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि समाज की सेवा में लगे। हम किफायती और प्रभावी उपचार तकनीकें विकसित कर रहे हैं जो हर किसी तक पहुंच सकें। ईएमबीओ ग्लोबल इन्वेस्टिगेटर अवार्ड और आईएनएसए यंग एसोसिएट अवार्ड से सम्मानित डॉ. जैन की टीम ग्रामीण क्षेत्रों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सुलभ समाधान विकसित कर रही है। अस्पताल में संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष सेंसर और शिक्षा कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। विज्ञान जागरूकता को लेकर स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली के लिए लोगों को शिक्षित किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए शोध यह भी समझने की कोशिश कर रहा है कि आंत के बैक्टीरिया मस्तिष्क की बीमारियों को कैसे प्रभावित करते हैं।

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