इन 7 स्थलों पर पिंडदान करने से पितरों को मिलती है मुक्ति, जानें इन स्थानों के नाम और महत्व

धर्म { गहरी खोज } : पितृपक्ष के दौरान कई लोग घर में अपने पितरों का पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कुछ विशेष स्थानों पर जाकर पिंडदान करते हैं। यह कुछ ऐसे स्थान हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां किया गया पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति प्रदान करता है, आज हम आपको ऐसे ही सात स्थानों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
गया, बिहार
पितरों का तर्पण करने के लिए गया तीर्थ को बेहद खास माना जाता है। गया को लेकर कहा जाता है कि इसका दर्शन मात्र से ही पितृ नारायण रूप हो जाते हैं। इसलिए आज भी सैकड़ों की संख्या में लोग पितृपक्ष के दौरान गया जाते हैं। यहां किया गया पिंडदान सात पीढ़ियों तक के पितरों को मुक्ति मिलने की बात कही जाती है।
हरिद्वार, उत्तराखंड
हरिद्वार हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां पितरों का श्राद्ध करने से भी पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर कई लोग श्राद्ध पक्ष के दौरान पिंडदान करते हैं।
पुष्कर, राजस्थान
पुष्कर तीर्थ को तीर्थों का राजा भी कहते हैं। यहां भी पितृपक्ष के दौरान कई लोग पिंडदान करने पहुंचते हैं। माना जाता है कि पुष्कर में पिंडदान करते से करोड़ों यज्ञों को करने के जितना शुभ फल मिलता है और साथ ही आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पशुपतिनाथ, नेपाल
नेपाल के प्रसिद्ध मंदिर पशुपतिनाथ में गंडकी नदी के तट पर भी पिंडदान करना बेहद शुभ होता है। पशुपतिनाथ में किया गया पिंडदान आपके सभी पितरों को प्रसन्न करता है।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में भी पितृपक्ष के दौरान पिंडदान किया जाता है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पिंडदान करना बेहद पुण्य फलदायी माना जाता है। यहां किया गया पिंडदान आपके पितरों को तृप्ति और सुख दिलाता है।
नासिक, महाराष्ट्र
नासिक को कुंभ नगरी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नासिक में अमृत की बूंदें गिरी थीं। यहां भी पिंडदान करना बेहद शुभ होता है। यहां किया गया पिंडदान पितरों को मृत्यु के बाद मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
कैलाश मानसरोवर, चीन
कैलाश मानसरोवर में भी पिंडदान करना बेहद शुभ माना जाता है। हालांकि, भगवान शिव की नगरी में जाना इतना आसान नहीं है और यहां जाने के लिए आपको वीजा भी लेना पड़ता है। परंतु यहां पिंडदान करने से आपके पितृ जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परम पद प्राप्त करते हैं।