एम्स का चौंकाने वाला खुलासा, क्यों चकनाचूर हो रही हैं युवाओं की हड्डियां

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: सोचिए अगर सिर्फ 15-20 साल की उम्र में ही किसी को रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कराना पड़े या फिर 25 साल से पहले ही ‘हिप रिप्लेसमेंट’ की नौबत आ जाए। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, स्टेरॉयड सप्लीमेंट्स का खतरनाक सच है, जो आज की फिटनेस क्रेजी जेनरेशन की हड्डियों को गला रहा है। एम्स के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ‘मल्टी डिस्क फेलियर’ जैसी गंभीर बीमारी युवाओं में तेजी से बढ़ रही है, मतलब ये है कि रीढ़ की 33 हड्डियों में अलग-अलग हिस्सों का डैमेज होना जो नॉर्मली 40 की उम्र के बाद होता था लेकिन अब 15 साल की उम्र में दिख रहा है।

स्टेरॉयड सप्लीमेंट्स का सच
20 से 25 साल के युवाओं को ‘हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी’ की जरूरत पड़ रही है। दरअसल, स्टेरॉयड सप्लीमेंट्स हड्डियों की नेचुरल ग्रोथ को रोक देते हैं, जिससे शरीर पर एब्नार्मल प्रेशर पड़ता है, रीढ़ की हड्डी का स्ट्रक्चर बिगड़ जाता है और नतीजा ‘डिस्क फेलियर, बैक पेन और मूवमेंट डिसऑर्डर’। एम्स ने इसे इतना गंभीर माना है कि अब मेडिकल स्टूडेंट्स के एकेडमिक्स में भी स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स को शामिल किया जा रहा है यानी ये समस्या अब सिर्फ फिटनेस ट्रेंड नहीं, बल्कि पब्लिक हेल्थ क्राइसिस बन चुकी है। भारत में स्टेरॉयड बैन हैं, इन्हें बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के बेचना गैरकानूनी है लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ये धड़ल्ले से बिक रहे हैं। हद तो ये है कि पिछले 10 साल में स्टेरॉयड का इस्तेमाल 200% बढ़ गया है।

गौर करने वाली बात
युवाओं को लगता है कि स्टेरॉयड से बॉडी जल्दी बन जाएगी लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स साफ कहते हैं कि स्टेरॉयड से मांसपेशियों में बल तो आता है लेकिन हड्डियां खोखली हो जाती हैं। लेकिन अच्छी खबर ये है कि अब स्टेरॉयड-फ्री फिटनेस मूवमेंट भी तेजी पकड़ रहा है। कहने का मतलब ये है कि स्टेरॉयड से दूरी रखें, नेचुरल डाइट और रेगुलर योग-एक्सरसाइज ही असली फिटनेस मंत्र है। याद रखिए कि बॉडी असली मेहनत से बनती है, शॉर्टकट से नहीं।

स्पाइनल प्रॉब्लम की वजह
गलत पॉश्चर में बैठना, लैपटॉप पर देर तक काम करना, स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना, मोटापा, वर्कआउट न करना, इस तरह के फैक्टर्स स्पाइनल प्रॉब्लम के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। दुनिया में साल 2020 में 63 करोड़ लोग पीठ के दर्द से जूझ रहे थे तो वहीं साल 2050 में 84 करोड़ लोगों को पीठ के दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। भारत में 45% लोग बैकपेन पर ध्यान ही नहीं देते हैं। आइए स्लिप डिस्क के स्टेज के बारे में जानते हैं। फर्स्ट स्टेज में डिस्क की फ्लेक्सिबिलिटी कम होती है, सेकेंड स्टेज में डिस्क की रेशेदार परत टूटती है, थर्ड स्टेज में न्यूक्लियस का एक हिस्सा टूटता है और फोर्थ स्टेज में स्पाइन में लिक्विड लीक होता है।

कैसे दूर होगी समस्या?
कंधे के दर्द को दूर करने के लिए शहद, हल्दी दूध पिएं, हल्दी पेस्ट और नारियल तेल लगाएं, शहद-अदरक की चाय पिएं और गर्म पानी-सेंधा नमक से नहाएं। सर्वाइकल पेन से छुटकारा पाने के लिए बैठते समय गर्दन को सीधा रखें, नर्म गद्दे की जगह तख्त पर सोएं, विटामिन डी-कैल्शियम डाइट लें। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए हल्दी दूध, सेब का सिरका, अदरक वाली चाय और दालचीनी-शहद, गुनगुने पानी के साथ लें। इसके अलावा रेगुलर योग से भी बोन हेल्थ को काफी हद तक सुधारा जा सकता है।

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