विकसित भारत 2047 के रोडमैप पर चर्चा हर विधानमंडल में होः हरिवंश

नई दिल्ली{ गहरी खोज }:राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि इस देश की जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। हर विधायक और सरकार का यह सामूहिक दायित्व है कि वे भविष्य के लिए एक व्यापक दृष्टि रखें। हर राज्य अपनी विकास यात्रा के अलग-अलग चरण में हैं। इसलिए विकसित भारत 2047 के निर्माण की राह पर हर विधानमंडल में नियमित चर्चा होना आवश्यक है।
शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा पूर्वनियोजित हंगामे ही सदन में सदस्यों के अनुशासनहीन व्यवहार की प्रमुख वजह हैं।
उन्होंने कहा कि साल 1955 में राज्यसभा के पहले सभापति ने कुछ सदस्यों के आचरण पर उन्हें ‘पेशेवर आंदोलनकारी’ कहकर चेतावनी दी थी। कल्पना कीजिए, अगर वे आज देखते कि किस तरह व्यवधान को योजनाबद्ध संसदीय रणनीति के रूप में अपनाया जा रहा है, तो उन्हें कैसा लगता। जब तक दल-प्रायोजित व्यवधानों पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक अव्यवस्थित सदस्यों के व्यवहार पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा, “यह हर सदस्य से पूछने का विषय है कि क्या संकीर्ण राजनीतिक हित राष्ट्रहित से ऊपर हो सकते हैं? दूसरी ओर यह पार्टी नेताओं से भी पूछा जाना चाहिए कि क्या उनके सदस्य सचमुच हर दिन सदन की कार्यवाही बाधित कर सहज महसूस करते हैं?”
उन्होंने कई विधेयकों पर बहस न होने पर भी सवाल उठाया, जबकि उन पर दलों के बीच व्यापक सहमति रही है। ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को कई बार प्रश्नकाल और शून्यकाल में सदस्यों ने उठाया, राज्यों ने भी इस पर कार्रवाई की। फिर भी जब सरकार इस विषय पर विधेयक लाई, तो सदस्य सदन में हंगामा करने में व्यस्त रहे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “हमारी विधायी संस्थाओं का मूल लक्ष्य यह होना चाहिए कि वे अनिश्चितता के समय नागरिकों और व्यवसायों को स्थिरता और भरोसा प्रदान करें। देश हमसे ऐसी ही अपेक्षा करता है। इसलिए हमें अपनी विधायी संस्थाओं की विश्वसनीयता को हल्के में नहीं लेना चाहिए। तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के सभापतियों ने भाग लिया। सम्मेलन का समापन शनिवार को राज्यपाल ठाकुर चंद गहलोत और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की उपस्थिति में हुआ।