यूपी डीजीपी ने चार जिलाें के पुलिस अधीक्षक और दाे पुलिस आयुक्तों से स्पष्टीकरण मांगा

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लखनऊ{ गहरी खोज }: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने शुक्रवार देर शाम को वीडियों कॉन्फ़्रेंसिंग की। इसमें जनसुनवाई, क़ानून-व्यवस्था, साइबर अपराध एवं महिला सुरक्षा को लेकर समीक्षा की है। साथ ही साथ जून, जुलाई और अगस्त माह के जनशिकायत के निस्तारण की समीक्षा रिपाेर्ट ली। इसमें यूपी के 20 जिलों में जन शिकायतों में वृद्धि पाई गई है।
समीक्षा में पाया गया कि 75 में से 56 जिलाें में जन-शिकायतों में कमी आई हैं, जबकि 20 जिलाें में थोड़ी वृद्धि हुई है। इन 20 जिलाें में सर्वाधिक वृद्धि वाले छह जनपदों में शिकायतों के शिथिल पर्यवेक्षण पर पुलिस महानिदेशक ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक देवरिया, संभल, कौशांबी, बदायूं, पुलिस आयुक्त गाजियाबाद और वाराणसी से स्पष्टीकरण मांगा है।
डीजीपी ने कहा कि जन-शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शिकायत आने के कारणों को दूर करना होगा। क्षेत्राधिकारियों को जन-शिकायतों के निस्तारण में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। जन-शिकायतों के निस्तारण में फ़ोकस्ड दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
डीजीपी ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों की भी समीक्षा की, जिसमें झाँसी, बहराइच, लखनऊ, जौनपुर, कानपुर और आगरा में सबसे अधिक शिकायतें मिलीं। उन्होंने निर्देश दिया कि जिन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध सर्वाधिक शिकायतें हैं, उन्हें चिन्हित कर सभी मामलों की सूची तैयार की जाए और जनपदीय पुलिस प्रभारी स्वयं उनका अनुसरण करें। शिकायत सही पाए जाने पर उक्त पुलिस अधिकारी से एक उच्च स्तर का कोई अधिकारी शिकायतकर्ता से व्यक्तिगत वार्ता करे और पुष्टि होने पर दोषी पुलिसकर्मी के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करे।
डीजीपी ने आगे कहा कि ‘मैनपावर मैनेजमेंट’ एवं प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही व्यक्ति का चयन कर उसे उपयुक्त जिम्मेदारी देने से समस्याओं का निराकरण स्वतः हो जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि जन-शिकायतों से जुड़े मामलों में पीड़ित के साथ संवेदनशील व्यवहार हो, अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए। किसी मुद्दे पर आक्रोशित व्यक्तियों से संवेदनशीलता से धैर्यपूर्वक वार्ता कर समस्या का समाधान निकाला जाए। क़ानून-व्यवस्था की समीक्षा करते हुए डीजीपी ने कहा कि छोटी से छोटी घटना में भी संवेदनशीलता, सजगता और त्वरित कार्रवाई आवश्यक है। यदि किसी मुद्दे पर क़ानून-व्यवस्था की स्थिति बन रही हो तो वरिष्ठतम अधिकारी वार्ता कर स्थिति को बिगड़ने से रोकें और समस्या का तत्काल निराकरण कराकर मुख्यालय को अवगत करायें। साइबर अपराध की समीक्षा में डीजीपी ने कहा कि वित्तीय पुनर्नियोजन की शिकायतों में पीड़ित की ओर से त्रुटिपूर्ण जानकारी देने के कारण कई मामलों में धनराशि फ्रीज़ नहीं हो पाती। ऐसे मामलों में साइबर क्राइम हेल्प डेस्क की टीम तत्काल पीड़ित से वार्ता कर त्रुटियों को ठीक करे ताकि धनराशि तुरंत फ्रीज़ हो सके। महिला सुरक्षा के संबंधी मामलों में उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता है और उनकी भी शीर्ष 10 प्राथमिकताओं में शामिल है।
उन्होंने निर्देश दिए कि छेड़खानी, घरेलू हिंसा आदि जैसे प्रकरणों को भी अत्यंत गंभीरता से लेते हुए थाने स्तर पर इनके त्वरित निस्तारण के लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए। क्षेत्राधिकारी स्तर पर पीड़िता से वार्ता कर छोटे से छोटे मामलों में भी एफआईआर दर्ज की जाए। प्रत्येक थाने पर महिला संबंधी प्रकरणों के लिए प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों को नियुक्त किया जाए। छोटी घटनाओं को प्राथमिक स्तर पर ही गंभीरता से लेने से बड़ी घटनाओं की परिणति रोकी जा सकती है।
अपर पुलिस महानिदेशक (क़ानून-व्यवस्था) अमिताभ यश ने कहा कि आगामी त्योहारों में शांति समिति बैठकों में विवादों के निस्तारण, त्यौहारों के दौरान महिलाओं की सुरक्षा, सोशल मीडिया पर छोटी घटनाओं एवं अफवाहों का संज्ञान लेकर तुरंत कार्रवाई करने पर ज़ोर दिया। जनपदों में महिला अपराध के हॉट स्पॉट चिन्हित कर वहां सीसीटीवी लगाए।

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