कोल इंडिया के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होगा यूनिफॉर्म : रेड्डी

- कोल कर्मियों को मिलेगा एक करोड़ का बीमा
रांची{ गहरी खोज }: कोल इंडिया के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए जल्द ही वर्दी (यूनिफॉर्म) अनिवार्य होगा। इसकी शुरुआत 17 सितंबर 2025 श्रमिक दिवस, विश्वकर्मा पूजा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से होगी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को झारखंड की राजधानी रांची में इसकी जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आजादी के बाद पहली बार कोयला खदानों में काम करने वाले कर्मचारियों के सम्मान और गौरव को बढ़ाने के लिए यूनिफॉर्म लागू किया जा रहा है। यह यूनिफॉर्म कोल इंडिया की ओर से उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि कोल माइंस में कार्यरत कर्मचारियों के लिए अनुग्रह राशि (एक्सग्रेशिया) राशि को 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया गया है। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को मौजूदा जीवन बीमा के अलावा एक करोड़ रुपये का अतिरिक्त बीमा प्रदान किया जाएगा। संविदा कर्मचारियों को भी 40 लाख रुपये का अतिरिक्त बीमा लाभ मिलेगा।
रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोयला क्षेत्र (कोल सेक्टर) में पिछले 11 वर्षों से निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और अर्थव्यवस्था को विश्व में तीसरे स्थान पर ले जाने के लिए कोयला और खान मंत्रालय प्रतिबद्ध है। भारत ने पहली बार एक अरब टन (एक बिलियन टन) कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया है, जिसमें झारखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाकर आयात को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले साल 60 हजार करोड़ रुपये के कोयला आयात में कमी लाई गई है। तकनीकी कारणों से कुछ स्टील कंपनियां अभी भी कोयला आयात कर रही हैं, लेकिन भारत में आवश्यकता के अनुसार कोयले का घरेलू उत्पादन हो रहा है। कोयला उत्पादन में ओडिशा पहले, छत्तीसगढ़ दूसरे और झारखंड तीसरे स्थान पर है।
खान मंत्री ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिज (क्रिटिकल मिनरल्स) की मांग में वृद्धि को देखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन) शुरू किया है। इसके लिए 32 हजार करोड़ रुपये खर्च कर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉकों पर काम शुरू हो चुका है और इस दिशा में अनुसंधान भी किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि सुशासन, व्यवसाय करने की सुगमता और आर्थिक प्रगति के लिए कोयला क्षेत्र में सुधारों को लागू करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इन सुधारों का उद्देश्य देश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना और इस सेक्टर के माध्यम से देश की आर्थिक प्रगति को गति देना है।
केंद्रीय कोयला मंत्री ने राज्य सरकार की ओर से मांगी जा रही बकाया राशि के सवाल पर कहा कि कोयला मंत्रालय और राज्य सरकार के समन्वय से गठित कमेटी इस पर काम कर रही है। कमेटी की अब तक दो-तीन बैठकें हो चुकी हैं और जल्द ही इस पर निर्णय होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कोयला मंत्रालय का उद्देश्य आय अर्जन नहीं, बल्कि विकसित भारत के लिए कोयले की मांग को पूरा करना है। झारखंड सरकार के सभी मुद्दों पर कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के अधिकारियों की कमेटी की ओर से लिए गए निर्णयों के आधार पर काम किया जाएगा।
रेड्डी ने इस अवसर पर बताया कि कोयला मंत्रालय खान जल उपयोग (माइंस वाटर यूटिलाइजेशन) पर भी काम कर रहा है। ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और गोवा में इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। देश में 143 ऐसे कोयला खान (कोल माइंस) हैं, जिनको अब तर पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है। ऐसे खान के पानी का उपयोग और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए माइंस क्लोजर की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर सभी 143 खानों को नियमों के अनुसार बंद करने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए धन की कोई कमी नहीं है।
मंत्री ने धनबाद के झरिया के लिए नए मास्टर प्लान की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से 60 लोगों की टीम नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें से कोयला मंत्रालय ने 50 लोगों की नियुक्ति कर दी है। राज्य सरकार को सीईओ नियुक्त करना है। मास्टर प्लान में पुनर्वासित लोगों के लिए रोजगार, आवास, अस्पताल और स्कूल जैसी सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है। सीईओ की नियुक्ति के बाद मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर इस योजना को गति दी जाएगी।
झारखंड में अवैध खनन के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को गंभीर बताते हुए कोयला एवं खान मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर वह मुख्यमंत्री हेमंत सोर्न से चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया कि पहले भी इस संबंध में बात हो चुकी है। कोयला मंत्रालय और कोल कंपनियां सुरक्षा उपायों पर विशेष ध्यान दे रही हैं।