श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके दो माह में सरकारी आवास खाली करेंगी

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कोलंबो{ गहरी खोज }: देश में राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) अधिनियम के लागू होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा ने घोषणा की कि वह दो महीने में सरकारी आवास खाली कर देंगी। कुमारतुंग 1994 से 2005 तक श्रीलंका की राष्ट्रपति रही हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकारी आवास से अपने नए घर में जाएंगी।
डेली मिरर अखबार की रिपोर्ट के अनुसार नए कानून के लागू होने के बाद उन्हें कोलंबो में एक घर मिल गया है। उस पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार सरकारी आवास में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को परिसर खाली करने से पहले तीन महीने का नोटिस देना अनिवार्य है। चंद्रिका भंडारनायके ने कहा कि उन्हें घर खाली करने में दो महीने से ज्यादा का समय नहीं लगेगा।
वो तीन सप्ताह पहले गिरने के बाद हुई कूल्हे की सर्जरी से उबरी हैं। उन्होंने कहा कि वह न चढ़ पाती हैं और न ही ऊपर से नीचे उतर सकती हैं।
कुमारतुंगा ने कहा कि उन्हें एक बहुत छोटा घर मिला है। उसकी मरम्मत करा रही हूं। बेटे ने कहा कि वह एक हफ्ते के लिए आकर उनकी मदद करेगा। वह कहती हैं कि कूल्हे की सर्जरी के कारण दिन में दो-तीन बार फिजियोथेरेपी करवानी पड़ती है। इसलिए, वह इस समय उस नए घर को देखने नहीं जा पा रही हैं।
पूर्व राष्ट्रपति को अफसोस है कि राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया। उन्होंने पत्र लिखकर सरकार को निर्धारित किराया देकर जीवन भर इसी जगह पर रहने की अनुमति मांगी थी।
उन्होंने कहा कि बुढ़ापे में कई तरह की दिक्कतें हैं। 15 साल में उन्हें दो बार कैंसर हुआ।
जब वह यहां रहने आई थी, तब यहां घास का एक तिनका भी नहीं था। बजरी थी। उस समय महिंदा राजपक्षे सरकार ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था। कुमारतुंगा ने कहा कि कोलंबो में उनका कोई घर नहीं है। इकलौता घर रोज़मीड प्लेस में था। उसे बेच चुकी हैं। उसी पैसे से गुजारा करती हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश से बेहतर तो पड़ोसी भारत है। भारत में कम से कम वहां के पूर्व राष्ट्रपतियों को सरकारी आवास तो रहने को मिलता है।

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