बिहार की नवाचारी पहलें देशभर में अनुकरणीय मॉडल बन सकती हैं : डॉ जितेंद्र सिंह

- बिहार में “जिलों के समग्र विकास” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
पटना{ गहरी खोज }: केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी और सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में “जिलों के समग्र विकास” पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ आज पटना स्थित होटल ताज सिटी सेंटर में हुआ। उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उपस्थित रहे। डॉ सिंह ने बिहार सरकार और उसके अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की नवाचारी पहलें— विशेषकर शिकायत निवारण और डिजिटल परिवर्तन—देशभर में अनुकरणीय मॉडल बन सकती हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों की भूमिका को “भारत की प्रशासनिक रीढ़” बताते हुए उनके सक्रिय योगदान की सराहना की।
उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बिहार के परिवर्तन की यात्रा को साझा करते हुए कहा, “एक मरीन ड्राइव के सपने से शुरुआत हुई थी, आज हम तीन और मरीन ड्राइव बना रहे हैं। हमने सड़क निर्माण में रूढ़ियों को तोड़ा है। अब पटना से गया, दरभंगा, मुज़फ्फरपुर की यात्रा कुछ घंटों में पूरी हो जाती है, जो पहले पूरे दिन लेती थी। यही है नया बिहार—तेज़, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार।
दिन की शुरुआत दो तकनीकी सत्रों से हुई, जिनमें प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त और नामांकित पहलों को प्रस्तुत किया गया। पहला सत्र पुनीत यादव, अपर सचिव डीएआरपीजी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, जिसमें यूआईडीएआई, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की नवाचारी योजनाओं पर चर्चा हुई जैसे डिजिटल प्रमाणीकरण, साइबर तहसील और जीआईएस आधारित जल संरक्षण। दूसरे सत्र की अध्यक्षतासरिता चौहान, संयुक्त सचिव डीएआरपीजी ने की। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार की नागरिक-केंद्रित पहलों को रेखांकित किया गया। वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि ज़िला प्रशासन केवल एक प्रशासनिक इकाई नहीं, बल्कि शासन की धड़कन है, जहाँ योजनाओं का वास्तविक प्रभाव नागरिकों तक पहुँचता है।
तीसरे सत्र “बिहार सरकार में नवाचार” की अध्यक्षता डॉ बी. राजेन्दर, अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग ने की। नालंदा, बेगूसराय और गया के जिलाधिकारियों ने ज़िला स्तर पर लागू की गई नवाचारी योजनाओं को प्रस्तुत किया। डॉ. प्रतिमा, सचिव, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने बिहार की शिकायत निवारण प्रणाली पर विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें तकनीक और ज़मीनी समन्वय के माध्यम से नागरिकों की समस्याओं का संवेदनशील समाधान बताया गया।
जीविका के सीईओ ने महिला स्वयं सहायता समूहों की आर्थिक सशक्तिकरण यात्रा साझा की, वहीं मगध प्रमंडल की आयुक्त डॉ. ए.एन. सफेना ने शासन में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। डॉ. बी. राजेन्दर ने कहा, “जीविका दीदी से लेकर विधायक बनने तक की यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि बिहार की महिलाएं परिवर्तन की धुरी हैं।” उन्होंने बिहार में इस परिवर्तन को संभव बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की।
देशभर से आये 200 से अधिक प्रतिनिधियों जिलाधिकारी, नीति निर्माता, नवाचारकर्ता और संस्थागत प्रमुखों— ने इस मंच पर भाग लिया। साथ ही, सम्मेलन स्थल पर बहुविभागीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यटन, कला-संस्कृति, युवा, जीविका और उद्योग विभागों ने अपनी प्रमुख योजनाओं, हस्तशिल्प और सेवाओं की झलकियां प्रस्तुत कीं। एक विशेष वीआर शो के माध्यम से प्रतिभागियों ने नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, विक्रमशिला और बिहार म्यूज़ियम जैसे ऐतिहासिक स्थलों की डिजिटल यात्रा का अनुभव लिया। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर, शास्त्रीय एवं लोक नृत्य दल और बांसुरी वादक विष्णु थापा ने बिहार की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत किया। दिन का समापन इस विश्वास के साथ हुआ कि ज़िला प्रशासन को सशक्त बनाकर और राज्यों की श्रेष्ठ पहलों को साझा कर हम समावेशी और समग्र विकास के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार कर सकते हैं।