बंगाल में स्वास्थ्य साथी कार्ड को एसआईआर दस्तावेज नहीं मानेगा : चुनाव आयोग

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कोलकाता{ गहरी खोज }:पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य साथी कार्ड को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत भारत निर्वाचन आयाेग ने नागरिकता का प्रमाण मानने से इनकार कर दिया है। आयाेग ने गुरुवार को कहा कि वह केवल ऐसे दस्तावेज को ही मान्यता देगा जिनसे नागरिकता का प्रमाण मिलता है।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनाेज कुमार अग्रवाल ने हाल ही में आयोग से पूछा था कि क्या स्वास्थ्य साथी कार्ड को एसआईआर के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। दरअसल, यह कार्ड केवल राज्य सरकार द्वारा बंगाल के निवासियों को दिया जाता है, लेकिन यह नागरिकता साबित नहीं करता। इसीलिए आयोग ने इसे खारिज कर दिया।
बैठक में आयोग ने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड को केवल बिहार में एसआईआर के लिए व्यक्तिगत पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा है कि आधार कभी भी नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकता और इसका उपयोग केवल मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए किया जा सकता है।
चुनाव आयोग का कहना है कि देशभर में अक्टूबर से, यानी दुर्गापूजा के बाद एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होगी है। पश्चिम बंगाल में आखिरी बार यह सर्वेक्षण वर्ष 2002 में हुआ था। उसी आधार पर तैयार मतदाता सूची पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है। अब दो दशक से अधिक समय बाद राज्य में दोबारा एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
पश्चिम बंगाल में आगामी वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की यह पहल बेहद अहम मानी जा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया हैं कि वह एसआईआर के खिलाफ हैं। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि यह कदम लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने का प्रयास हो सकता है। दूसरी ओर, स्वास्थ्य साथी कार्ड को मान्यता देने काे लेकर राज्य सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव को भी आयोग ने ठुकरा दिया है।

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