‘ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट’ पर अब आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया ने उठाए सवाल

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस ने ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को एक बार फिर त्रासदी करार देते हुए इस परियोजना को पर्यावरण और आदिवासी समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाला बताया। आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कांग्रेस के ऑफीशियल एक्स अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट कर दावा किया कि सरकार के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के तहत 8.5 लाख पेड़ काटे जाने की योजना है, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक यह संख्या 50 लाख पेड़ों तक पहुंच सकती है।
भूरिया ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से पूरा जंगल खत्म हो जाएगा और कई आदिवासी जनजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच जाएंगी। इससे केवल बड़े उद्योगपतियों को फायदा होगा, जबकि आदिवासी समुदायों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ के हसदेव, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और गुजरात की पार तापी नर्मदा परियोजना का जिक्र कर कहा कि इन सभी परियोजनाओं में आदिवासियों ने ही सबसे ज्यादा कीमत चुकाई है।
भूरिया ने शोम्पेन जनजाति का जिक्र कर कहा कि इस प्रोजेक्ट से उनके पूरी तरह से विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक हालिया बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने इस परियोजना को आदिवासियों को कुचलने वाली करार दिया था।
सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित अपने लेख में ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट और इसके आदिवासी जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि यह परियोजना न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ेगी, बल्कि आदिवासी समुदायों के अधिकारों और अस्तित्व को भी खतरे में डालेगी।
उल्लेखनीय है कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे दक्षिणी द्वीप, ग्रेट निकोबार पर प्रस्तावित एक व्यापक विकास और बुनियादी ढांचा परियोजना है, जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह एक बड़े पैमाने की रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य द्वीप पर एक आधुनिक बंदरगाह, हवाई अड्डा, ऊर्जा उत्पादन सुविधाएं और आवासीय टाउनशिप विकसित करना है, ताकि भारत की समुद्री सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले। इस परियोजना को 2022 में पर्यावरण और वन मंत्रालय से कुछ शर्तों के साथ मंजूरी प्रदान की गई थी। अनुमानित कुल लागत लगभग 81,000 करोड़ रुपये है।