दीक्षान्त केवल डिग्री का अवसर नहीं, नई जिम्मेदारियों की शुरुआत है: योगेन्द्र उपाध्याय

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लखनऊ{ गहरी खोज }: लखनऊ विश्वविद्यालय का 68वाँ दीक्षान्त समारोह बुधवार को कला संकाय प्रांगण में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने की। इस अवसर पर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर सी. माण्डे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय अति विशिष्ट अतिथि और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने अपने सम्बोधन में कहा कि लखनऊ केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का नगर ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी गौरवपूर्ण परम्परा रखता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी उपलब्धियों से प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और गुरुओं को बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता उनके सामूहिक परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त केवल डिग्री प्राप्ति का अवसर नहीं बल्कि जीवन की नई जिम्मेदारियों का आरम्भ है। विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना होगा।
मंत्री उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में प्रदेश के विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है। कई विश्वविद्यालयों को ए प्लस और ए डबल प्लस ग्रेडिंग मिली है तथा एनआईआरएफ रैंकिंग में भी प्रदेश के विश्वविद्यालय लगातार ऊपर आ रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि यह लक्ष्य तभी सम्भव होगा जब युवा पीढ़ी शिक्षा के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान दे।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने भी विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उपाधि और पदक प्राप्त करना जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। इसका सही उपयोग समाज और राष्ट्रहित में करना ही विद्यार्थियों की वास्तविक सफलता होगी। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका होगी। उत्तर प्रदेश शिक्षा का केंद्र बन रहा है और यहाँ बड़ी संख्या में विदेशी विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए आ रहे हैं। राज्यपाल के मार्गदर्शन में न केवल विश्वविद्यालयों को सशक्त किया जा रहा है बल्कि आंगनबाड़ी केंद्रों की गुणवत्ता भी बेहतर की जा रही है ताकि शिक्षा की मजबूत नींव जमीनी स्तर से तैयार हो सके। जैसे एक दीपक अपने प्रकाश से अंधकार को समाप्त करता है, वैसे ही एक विद्यार्थी अपनी प्रतिभा और कर्मठता से समाज और राष्ट्र के अंधकार को दूर कर सकता है।

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