विद्यार्थियों के जीवन मूल्यों का निर्माण भी शिक्षकों का धर्म : राम बहादुर राय

नई दिल्ली{ गहरी खोज }:वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक पद्म भूषण राम बहादुर राय ने कहा कि शिक्षक का धर्म केवल पढ़ाना नहीं बल्कि विद्यार्थियों के जीवन मूल्यों का निर्माण करना भी है। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक होने का धर्म” विषयक विशेष परिचर्चा में उन्होंने ये विचार व्यक्त किए। परिचर्चा का आयोजन सोमवार देर शाम दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी ने किया। इस अवसर पर शिक्षण के आदर्श, उत्तरदायित्व और बदलते शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका पर गहन विमर्श हुआ।
पद्म भूषण राम बहादुर राय ने एस राधाकृष्णन के जीवन संघर्ष और उनके आदर्श शिक्षक बनने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अच्छे शिक्षक को पहचानने वाले लोगों की भी जरूरत होती है। शिक्षा में यदि कोई अनुशासन और समर्पण के साथ कार्य करता है और उससे भावी पीढ़ी शिक्षक बनने को प्रेरित होती है तो यह श्रेयस्कर होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पद्मश्री डॉ. जतीन्द्र बजाज ने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान के संचारक ही नहीं बल्कि परम्परा, इतिहास, कौशल, भूगोल और सामाजिक उत्तरदायित्व के भी संवाहक होते हैं। उन्होंने भारतीय परंपरा में गुरु-शिष्य संबंध की महत्ता को रेखांकित करते हुए वर्तमान समय में शिक्षा के मानवीय मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास जितना विस्तृत होगा, हमारी दृष्टि उतनी व्यापक होगी।
इस अवसर पर दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी कुलपति प्रोफेसर अनु सिंह लाठर और इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन के कुलपति प्रोफेसर रंजना झा उपस्थिति रहे। दोनों कुलपतियों ने उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग की संभावनाओं और शिक्षक शिक्षा को और अधिक प्रासंगिक व समकालीन बनाने की दिशा पर विचार साझा किए। विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार डॉ संजीव राय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में डॉ राजेश प्रसाद सिंह, डॉ नसीरुद्दीन, डॉ विनोद, डॉ जयशंकर सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, शिक्षाविद् और विद्यार्थी शामिल हुए। छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ सरोज मलिक ने किया।