इस्पात उत्पादों पर 12 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क पर्याप्त, जरूरत हुई तो और मांग करेंगे: जिंदल

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उद्योगपति नवीन जिंदल ने सोमवार को कहा कि कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर प्रस्तावित 12 प्रतिशत रक्षोपाय शुल्क पर्याप्त है और अगर भविष्य में आयात संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा तो उद्योग सरकार से फिर संपर्क करेगा। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने घरेलू विनिर्माताओं को आयात में अचानक वृद्धि से बचाने के लिए कुछ सपाट इस्पात उत्पादों के आयात पर तीन साल के लिए रक्षोपाय शुल्क लगाने की अंतिम सिफारिश की है। भारतीय इस्पात संघ की एक शिकायत पर शुरू की गई जांच के अंतिम निष्कर्षों में डीजीटीआर ने इस शुल्क की सिफारिश की थी।
जिंदल ने यहां ‘आईएसए स्टील कॉन्क्लेव 2025’ के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम चाहते थे कि यह 25 प्रतिशत (सुरक्षा शुल्क) हो। लेकिन अगर उनकी (डीजीटीआर) समझ से 12 प्रतिशत की सिफारिश हुई है… तो यह पर्याप्त है।’’
यह पूछने पर कि क्या अमेरिका जैसे देशों, जिन्होंने 50 प्रतिशत तक के शुल्क लगाए हैं, की तुलना में 12 प्रतिशत शुल्क पर्याप्त है, जिंदल ने कहा कि डीजीटीआर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले यह देखता है कि उद्योग को किस प्रकार का नुकसान हो रहा है। भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के अध्यक्ष जिंदल ने कहा, ‘‘हम इसका सम्मान करते हैं और अगर कोई समस्या हुई, तो हम इसे फिर से उठाएंगे।’’
उन्होंने यह भी बताया कि शुल्क के कारण विभिन्न देशों से अमेरिका को निर्यात बंद होने के कारण वैश्विक कीमतें प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में घरेलू इस्पात की मांग दोहरे अंकों में बढ़ने की उम्मीद है।