प्रधानमंत्री मोदी का छलका दर्द

संपादकीय { गहरी खोज }: पटना में आयोजित बिहार राज्य जीविका निधि साख सहयोग संघ लिमिटेड का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ करते हुए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार में मां का सम्मान सर्वोपरि रहा है। यहां नदियों की भी मां की तरह पूजा होती है। यहां के संस्कार में पली-बढ़ीं, सिया धिया, दुनिया की सीता माता है। मां के प्रति श्रद्धा और विश्वास बिहार की पहचान है। मां के लिए ही-कहा गया है अपने सुखल-पाकल-खाके, रखली सबके भरम बचा के, उनकर रोवां जे दुखाई, त भलाई ना होई, केहू कतनो दुलारी, बाकि माई ना होई। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले 100 साल की उम्र पूरी करके मेरी मां हम सबको छोडक़र चली गई। मेरी मां का राजनीति से कोई लेना देना नहीं, जिसका शरीर भी अब इस दुनिया में नहीं है, उनको राजद-कांग्रेस के मंच से भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं। उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाषण सुन रहीं महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपके चेहरे पर देख रहा हूं, आपको भी कितना दर्द हुआ होगा। यह बहुत ही दुख देने वाला है। उस मां का क्या गुनाह? आखिर मैं भी एक बेटा हूं। जब इतनी सारी माताएं बहनें मेरे सामने हैं, तो आज मैं मेरा दुख आपको साझा कर रहा हूं, ताकि आपके आशीर्वाद से मैं इस पीड़ा को झेल पाऊं। उन्होंने राहुल की ओर इशारा करते हुए कहा-ये नामदार लोग क्या बोलते रहे? भारत माता होती क्या है? भारत माता को जो गाली देते हैं, उनके लिए मोदी की मां को गाली देना तो बाएं हाथ का खेल है। मोदी ने कहा कि मैं 50-55 वर्षों से बिना थके देश की सेवा कर रहा हूं। मुझे जन्म देने वाली मां ने मुझे अपने दायित्वों से मुक्त कर दिया था। मां ने मुझे आशीर्वाद दिया कि बेटा जा, देश की करोड़ों माताओं की सेवा करना, देश के गरीबों की सेवा करना। उन्होंने बहुत गरीबी में तकलीफें सहते हुए अपने परिवार को पाला था। नामदार लोग तो सोने-चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं। देश और बिहार की सत्ता इन्हें अपने खानदान की विरासत लगती है। मां का रिश्ता संसार के सब रिश्तों से बड़ा और अटूट है, क्योंकि पहली सांस के साथ मां की कोख में ही मां के साथ रिश्ता जुड़ जाता है यानि धरती पर आने से नौ माह पहले मां केवल जन्म ही नहीं देती बल्कि उसे पालती-पोसती व संस्कार भी देती है। मां मौत के बीच एक ढाल की तरह होती है। मां के होते इंसान को मौत का एहसास नहीं होता। मां के जाने के बाद वह ढाल नहीं रहती, उस मां को जब कोई गाली दे तो इंसान के मन में क्या गुजरता है, इस बात का एहसास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रकट भावों से समझा जा सकता है। दु:ख की बात यह है कि मोदी की मां को कहे गये अपशब्दों के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने न तो दु:ख प्रकट किया और न ही निंदा की।
मां को लेकर कवित्री नीरू मित्तल ‘नीर’ ने इस प्रकार लिखा है-
मां एक छोटा-सा शब्द नहीं
शब्द में समाया ब्रह्मांड है माँ
कानों में मिसरी-सा घुल जाए
विपदा में कब मुँह से निकले माँ…
पता ही नहीं चलता…
जीवन के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर
जब डगमगाती है जीवन की नैया
खाते ठोकर किसी दुर्गम रास्ते पर
दिल के कोने में बरबस याद आती माँ
कब संवार देती बिखरे पलों को
क्यों पुकारते हर बार ओ….माँ….
पता ही नहीं चलता
अद्भुत रचना है, प्रभु का रूप तू
एक अनुभूति है, एक आभास तू
थे सारे स्वर्ग मेरे, तेरे चरणों में
तू कब हो गयी स्वर्गवासी मां….
पता नहीं चलता।
कवि सत्यप्रकाश उप्पल अपनी कविता ‘मैं तुम्हें फूल-भेजता हूं’ में कहते हैं-
‘एक अश्लील गाली के उत्तर में
मैं तुम्हें
गाली नहीं दे सकता
नहीं!
घृणा के बदले
नहीं कर सकता घृणा
इसलिए
मैं तुम्हें फूल भेजता हूं
रंग बिरंगी $खुशबुएँ
और ढेर सारी शुभकामनाएँ।’
गाली का उत्तर यही होना चाहिए, क्योंकि जो जिसके पास होगा वही तो वह देगा।