छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली अपना आधार मजबूत करने की कवायद में जुटे: आईजी

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-नक्सली हिंसा बड़ी चुनौती, इसमें शामिल नक्सलियाें पर हाेगी निर्णायक कार्रवाई : सुंदरराज पी.

बीजापुर{ गहरी खोज }: नक्सलियाें के सफाये के लिए तय की गई समय सीमा मार्च 2026 जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे नक्सली भी लोगों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कवायद में जुट गए हैं। इससे जहां सुरक्षा बलों को बड़ी चुनौती मिल रही है वहीं ये घटनाएं न केवल सुरक्षा बलों को परेशान कर रही हैं बल्कि उनकी रणनीति को भी कहीं न कहीं नुकसान पहुंचा रही हैं। हाल ही में नक्सलियों के 9 शिक्षादूतों की हत्या के बाद से ग्रामीण इलाकों में भय का माहौल है। हालांकि बस्तर संभाग के आईजी का कहना है कि हिंसा में शामिल नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा। सुरक्षा बल पूरी तरह से सतर्क हैं।
सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और अभियानों के चलते अब नक्सली अपने बड़े समूहों के बजाय छोटे-छोटे समूहों में बंटकर बैठकें कर रहे हैं और इनमें लोगों से इमोशनल अपील कर वे ग्रामीणों से चार दशक पुराने अपने संबंधों की दुहाई रहे हैं। नक्सली इन बैठकों में ग्रामीणों से गद्दारों की मुखबिरी को अपने नेताओं की मौत का कारण बताकर उनसे अपना जुड़ाव बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
नक्सली अभी जो हमले कर रहे हैं, वह उनकी कोई नई रणनीति नहीं है बल्कि छोटे हमले और सीमित टारगेट से बड़ा संदेश देकर नक्सली अपने आधार को मजबूत करने में जुटे हुए हैं यानी वे फिर से ‘साइकोलॉजिकल’ वार फेयर के जरिए अपनी मौजूदगी जताने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण बस्तर में वे फिर से अपने प्रभाव कायम करने के लिए ग्रामीणों को मुखबिर बताकर उनकी नृशंस हत्या कर दहशत फैला रहे हैं। नक्सलियाें की स्मॉल एक्शन टीम के द्वारा यह सब उस पुराने नक्सली पैतरे की याद दिलाता है, जिसमें ‘दहशत’ को हथियार बनाकर ‘प्रभाव’ कायम किया जाता था। इसने सुरक्षाबलाें के दबाव और ऑपरेशनों के लिए चुनौती तो खड़ी कर ही दी है उनकी एक वारदात से इलाके में जो भय पैदा होता है, वह लोगों के मन मस्तिष्क में बैठ जाता, जो सुरक्षा बलों के लिए बहुत परेशानी पैदा करता है।
गाैरतलब है कि 70 के दशक में नक्सलियों का आंध्रप्रदेश से बीजापुर की ओर से बस्तर में प्रवेश हुआ था। इस कारण यहां निवासरत कई आदिवासी जनजातियों में नक्सलियों की अच्छी पैठ है। नक्सलियाें के लिए अनुकूल बीजापुर की भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियाें के कारण दक्षिण बस्तर के बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकाें के कई अंदरूनी गांवों में पिछले कुछ हफ्तों में नक्सलियों की गतिविधियां फिर से तेज़ हुई हैं । वहीं बीजापुर जिले में नक्सलियों की मजबूती की प्रमुख वजह नेशनल पार्क का 2200 वर्ग किमी का जंगल उनकी शरण स्थली बन चुका है। बैलाडीला पहाड़ी की तराई में स्थित लोहागांव, गमपुर, पीडिया सहित 40 से अधिक गांव पहुंच विहीन होने के कारण इन इलाकों में नक्सली स्वछंद रूप से विचरण करते हैं।
बीजापुर जिले में हत्या एवं दूसरे प्रदेशाें में आत्मसमर्पण के आंकड़ाें काे देखा जाये ताे यह पूरे बस्तर संभाग में सबसे अधिक है। बीजापुर जिले में बीते एक साल में 44 ग्रामीणों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतारा है। इनमें युवा, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं। नेशनल पार्क इलाके में इस वक्त दहशत इतनी बढ़ी हुई है कि गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक तक लगा दी गई है। वहीं बीजापुर के नक्सली दूसरे प्रदेेेशाें में आत्मसमर्पण कर रहे हैं, यह आंकड़ा भी चाैकाने वाला है। बीते पांच वर्षों में बीजापुर जिले के 150 से ज्यादा नक्सलियों ने दूसरे प्रदेशाें में आत्मसमर्पण किया है। जिसमें सर्वाधिक 97 नक्सलियों ने तेलंगाना में, 14 आंध्र प्रदेश, 19 ओडिशा, 12 महाराष्ट्र, झारखण्ड में 8 और मध्यप्रदेश में 3 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इस बाबत बस्तर संभाग के आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि बस्तर पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षादूतों एवं ग्रमीणाें की हत्या के दोषियों का पहचान कर उन्हें कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि जो भी लोग इस प्रकार की हिंसा में शामिल रहेंगे, उन्हें सुरक्षा बलों की निर्णायक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
उन्हाेंने कहा कि निर्दोष नागरिकों और युवा शिक्षादूतों को पुलिस मुखबिर बताना नक्सलियों का एक कायराना प्रयास है। इस तरह की कायराना हरकतें नक्सलियाें की ताकत का संकेत नहीं बल्कि उनकी कमजोरी और हताशा का स्पष्ट प्रमाण हैं। आईजी ने कहा कि सरकार के निर्देशों तथा बस्तर की स्थानीय जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। बस्तर पुलिस प्रत्येक नागरिक, विशेषकर शिक्षा और विकास में योगदान देने वालों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। हम नक्सली हिंसा को समाप्त करने और बस्तर की जनता की वैध आकांक्षाओं की रक्षा करने के अपने संकल्प पर अटल हैं। उन्हाेंने कहा कि सुरक्षाबलों के लगातार ऑपरेशन के कारण बीजापुर जिले में भी नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। बीजापुर जिले से भी बहुत जल्द नक्सलियों का सफाया हो जाएगा।

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