भारत-चीन संबंध पटरी पर लौट रहे हैं : गोयल

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सीमा मुद्दे सुलझते जाएंगे तनाव कम होता जाएगा। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में भारत-चीन सीमा मुद्दे के ‘‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’’ समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति बनी है। दोनों नेताओं ने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता देते हुए व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ाने का संकल्प लिया।
गोयल से पत्रकारों ने पूछा कि अगर भारत और चीन अपने संबंधों को फिर से स्थापित कर रहे हैं, तो क्या पीएन3 में ढील की गुंजाइश है। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक एससीओ शिखर सम्मेलन था, जिसमें सभी एससीओ सदस्यों ने भाग लिया। गलवान में हमारे सामने एक समस्या थी, जिसके कारण हमारे संबंधों में थोड़ी तलखी आई थी। मुझे लगता है कि सीमा मुद्दों का समाधान होने के साथ ही स्थिति का सामान्य होना एक बहुत ही स्वाभाविक परिणाम है।’’ चीन से भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए सभी क्षेत्रों में वर्तमान में सरकारी अनुमोदन लेना अनिवार्य है। यह नीति अप्रैल, 2020 में प्रेस नोट 3 (पीएन3) के रूप में जारी की गई थी। घरेलू उद्योग सरकार से चीन से अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए इन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों को आसान बनाने का आग्रह कर रहा है। जुलाई, 2024 में बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने का पुरजोर समर्थन किया गया था।
इसमें कहा गया था कि पड़ोसी देशों से विदेशी निवेश में वृद्धि से भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। अप्रैल, 2000 से मार्च, 2025 तक भारत में दर्ज कुल एफडीआई प्रवाह में चीन केवल 0.34 प्रतिशत हिस्सेदारी (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) के साथ 23वें स्थान पर रहा। भारत का निर्यात 2024-25 में 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 113.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। व्यापार घाटा (आयात एवं निर्यात के बीच का अंतर) 2003-04 के 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। गत वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कुल व्यापार असंतुलन (283 अरब अमेरिकी डॉलर) में चीन का व्यापार घाटा करीब 35 प्रतिशत था। 2023-24 में यह अंतर 85.1 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था।