जन धन योजना ने लोगों को दिया अपनी किस्मत खुद संवारने का मौका: मोदी

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना के 11 साल पूरे होने के मौके पर गुरुवार को कहा कि इसने अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को भी वित्तीय तंत्र से जोड़ा और उन्हें अपनी किस्मत खुद संवारने का मौका दिया।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को हुई थी। इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी आधिकारिक पोस्टों पर प्रतिक्रिया देते हुये श्री मोदी ने लिखा, “‘जब अंतिम छोर पर मौजूद लोग वित्तीय तंत्र से जुड़ते हैं तो पूरा देश एक साथ तरक्की करता है। पीएम जन धन योजना की यही उपलब्धि रही है। इसने लोगों को आत्मसम्मान दिलाया और उन्हें अपनी किस्मत खुद लिखने की ताकत दी।’
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जन धन योजना के तहत अब तक 56.21 करोड़ बैंक खाते खोले गये हैं जिनमें कुल 2,65,503 करोड़ रुपये की राशि जमा है। जन धन खाताधारकों को 38 करोड़ से ज्यादा निःशुल्क रुपे कार्ड जारी किये गये हैं जिससे डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला है। वहीं, 13.55 लाख बैंक मित्र लोगों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं जिनके लिए पहले बैंक जाना होता था।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मौके पर अपने संदेश में कहा कि वित्तीय समावेशन, आर्थिक वृद्धि और विकास का एक प्रमुख चालक है। बैंक खातों तक सार्वभौमिक पहुंच गरीबों और वंचित वर्ग के लोगों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से भाग लेने और इसके अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा कि बैंक खाते खुलने के बाद प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये लोगों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की गईं। ये खाते ऋण सुविधाएं, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और बचत एवं निवेश बढ़ाने के प्रमुख माध्यमों में से एक रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 67 प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, और 56 प्रतिशत खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं, जो दिखाता है कि देश के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले वंचित लोगों को औपचारिक वित्तीय तंत्र से जोड़ा गया है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि जन धन योजना न केवल देश में, बल्कि पूरी दुनिया में सबसे सफल वित्तीय समावेशन पहलों में से एक रही है। निरंतर प्रयासों से हम बैंक खातों में लगभग पूर्णता प्राप्त कर चुके हैं और देश भर में बीमा और पेंशन कवरेज में निरंतर वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने एक अभियान शुरू किया है जिसके तहत देश की 2.7 लाख ग्राम पंचायतों में से प्रत्येक में कम से कम एक शिविर आयोजित कर उन पात्र व्यक्तियों की पहचान की जायेगी जो बैंकिंग सुविधा से वंचित हैं और जिनके जन धन खाते खुल सकते हैं। इस अभियान का समापन 30 सितंबर को होगा। जन धन योजना की खास बात यह है कि इसे खोलते समय कोई पैसा जमा करना जरूरी नहीं होता और न ही कोई न्यूनतम मासिक राशि रखनी होती है। प्रत्येक खाते के साथ एक निःशुल्क रुपे डेबिट कार्ड आता है, जो 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर प्रदान करता है, जिससे डिजिटल लेनदेन और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है। खाता धारक 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा के भी पात्र हैं, जो आपात स्थिति में सुरक्षा प्रदान करती है।
पूरी तरह से केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालन वाले जन धन खातों में शेष राशि या लेनदेन की राशि की कोई सीमा नहीं है। एक महीने में कम से कम चार बार नि:शुल्क निकासी की अनुमति है, जिसमें मेट्रो एटीएम सहित किसी भी एटीएम से निकासी शामिल है।जन धन योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का आधार बन गयी है, जिससे सरकारी सब्सिडी और भुगतान का पारदर्शी, कुशल और भ्रष्टाचार-मुक्त वितरण संभव हुआ है। इन खातों ने जन सुरक्षा योजनाओं-प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिकों को जीवन और दुर्घटना बीमा प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।