2027 तक हर सैनिक होगा ड्रोन टेक्नोलॉजी में माहिर : रक्षा मंत्री

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इंदौर{ गहरी खोज }: आत्मनिर्भर भारत ने स्वदेशी प्लेटफार्म पर तेजस, एडवांस आर्टलरी गन सिस्टम, आकाश मिसाइल तैयार किए हैं। यह दूसरे देशों को संदेश है कि भारत में भी विश्वस्तरीय हथियार तैयार हो रहे है। अब हम पांचवी पीढ़ी का फाइटर एयरक्राफ्ट बना रहे हैं और हमारे कदम जेट इंजन के निर्माण की ओर भी बढ़ रहे है। वर्ष 2024 तक हमारा रक्षा उत्पादन 46 हजार 425 करोड़ था।
अब यह बढ़कर 1.5 लाख करोड़ करोड़ हो गया है। इसमें 33 हजार करोड़ प्रायवेट सेक्टर का योगदान है। एयर डिफेंस वेपन सिस्टम सुदर्शन चक्र देश के महत्वपूर्ण स्थानों के सुरक्षा कवच के रूप में तैयार होगा। भारतीय वायुसेना भी लंबी दूरी की मिसाइलों से लेकर नेक्स्ट जेनरेशन बियॉन्ड विजुअल रेंज के हथियारों को शामिल करके खुद को लगातार मजबूत कर रही है। ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए काउंटर यूएएस ग्रिड को और मजबूत किया जा रहा है। इसके अलावा, चाहे खरीद हो या नीतिगत बदलाव, हम अपनी सेनाओं को मजबूत करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। ये बातें ये बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महू के आर्मी वार कालेज में आयोजित ‘रण संवाद‘ के दूसरे दिन कही। उन्होंने बताया आगामी युद्ध में हाइपरसाेनिक मिसाइल, एआई, साइबर अटैक का अहम रोल होगा। 2027 तक भारत की जल, थल व वायु सेना के हर जवान को ड्रोन तकनीक का अनुभव होगा। विश्व अभी कोल्ड वार के युग है और अभी प्राक्सी वार भी चल रहे है। इस वजह से भारती सैन्य इकायों को तकनीक रुप से मजबूत किया जाएगा।
महाभारत के दौरान भी रण संवाद हुआ था। कृष्ण ने युद्ध से पहले शांति का संदेश दिया था लेकिन दुर्योधन ने मना किया। जब महाभारत खत्म हुआ तो युधिष्ठिर और भीष्म के बीच संवाद हुआ था। युद्ध के पूर्व व बाद में इस तरह के संवाद हमेशा होते आए है। शांति के समय युद्ध की तैयारी होती है और युद्ध के माध्यम से शांति पाने का प्रयास किया जाता है। आज के वैश्विक परिवेश में, अक्सर संवाद का टूटना ही शत्रुता और संघर्ष का मूल कारण बनता है। दूसरी ओर, युद्ध के समय भी, संवाद के माध्यमों को बनाए रखना आवश्यक है। महू में हो रहा रण संवाद केवल एक अकादमिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह हमारे सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण को और परिष्कृत करेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध की कोई निश्चित प्रणाली या कठोर सिद्धांत नहीं है, जिस पर हम आँख बंद करके भरोसा कर सकें। केवल सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडार का आकार अब पर्याप्त नहीं है। साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानव रहित हवाई वाहन और उपग्रह-आधारित निगरानी भविष्य के युद्धों को आकार दे रहे हैं। सटीक-निर्देशित हथियार, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित जानकारी अब किसी भी संघर्ष में सफलता की आधारशिला बन गई है। भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होंगे, वो तकनीक, खुफिया, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का मिला-जुला रूप होंगे।” परिस्थितियाँ और चुनौतियां तेजी से बदल रही है। दूसरों के पास इसका जवाब देने और अपनी पसंद के विपरीत शर्तों पर अखाड़े में कदम रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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