ईडी ने आप नेता सौरभ भारद्वाज और अन्य से जुड़े परिसरों पर छापे मारे

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार के दौरान स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन जांच के तहत पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज एवं कुछ अन्य निजी कंपनियों के परिसरों में छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत भारद्वाज एवं अन्य के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कम से कम 13 स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। इनमें दक्षिण दिल्ली स्थित भारद्वाज का घर और केजी मार्ग तथा पश्चिम पटेल नगर स्थित कुछ निजी ठेकेदारों और वाणिज्यिक रियल एस्टेट डेवलपर्स के आवास एवं कार्यालय शामिल हैं। आप की दिल्ली इकाई के प्रमुख और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भारद्वाज (45) के खिलाफ ईडी की जांच जून में दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी से सामने आई है।
एसीबी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार द्वारा स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप में भारद्वाज, उनकी पार्टी के सहयोगी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, निजी ठेकेदारों और अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। ईडी की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आप ने दावा किया कि भारद्वाज के खिलाफ छापेमारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के बारे में उठाए जा रहे सवालों से ध्यान हटाने का प्रयास है और पार्टी नेता के खिलाफ मामला झूठा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने दावा किया कि मामला उस समय का है जब भारद्वाज किसी मंत्री पद पर नहीं थे।
एसीबी की यह शिकायत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई द्वारा पिछले साल अगस्त में ‘‘दिल्ली सरकार के तहत विभिन्न स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में ‘‘गंभीर’’ अनियमितताओं एवं ‘‘संदिग्ध भ्रष्टाचार’’ का आरोप लगाए जाने के बाद आई है। एसीबी की शिकायत में ‘‘परियोजना बजट में हेरफेर, सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत’’ का आरोप लगाया गया है।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2018 से 2019 के दौरान 5,590 करोड़ रुपये की 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। हालांकि, ये परियोजनाएं काफी हद तक अधूरी रहीं और लागत में भारी एवं बेहिसाब वृद्धि हुई। एसीबी अधिकारियों ने जून में कहा था कि 1,125 करोड़ रुपये की आईसीयू अस्पताल परियोजना लगभग तीन साल और 800 करोड़ रुपये के खर्च के बाद भी केवल 50 प्रतिशत ही पूरी हुई है, जिसमें कुल 6,800 बिस्तरों वाली सात पूर्व-निर्मित अस्पताल शामिल हैं। एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मादीपुर अस्पताल परियोजना नवंबर 2022 तक पूरी होनी थी, लेकिन यह अब भी अधूरी है और पूरी होने से कोसों दूर है।
एसीबी के अनुसार, सात आईसीयू अस्पतालों की लागत में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई और फरवरी 2022 की समय सीमा के बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है।
आरोप है कि लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के नए ब्लॉक की परियोजना लागत चार वर्षों में 488 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये हो गई और जनवरी 2023 की समय सीमा के बाद भी इसका निर्माण कार्य अधूरा है।
एसीबी ने आरोप लगाया कि पॉलीक्लिनिक परियोजना में भी धन के ‘‘दुरुपयोग’’ के संकेत मिले हैं क्योंकि 94 नियोजित क्लीनिक में से केवल 52 का ही निर्माण हो पाया और लागत 168 करोड़ रुपये से बढ़कर 220 करोड़ रुपये हो गई। इनमें से कई पॉलीक्लिनिक बंद पड़े हैं।
दिल्ली में 2016 और 2017 में सार्वजनिक घोषणा के बावजूद स्वास्थ्य विभाग में वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) लागू नहीं किया गया और एनआईसी (ई-हॉस्पिटल) से निःशुल्क, लागत प्रभावी समाधान को बिना किसी औचित्य के ‘‘जानबूझकर’’ अस्वीकार कर दिया गया। भाजपा की दिल्ली इकाई ने कहा कि भारद्वाज के खिलाफ ईडी के छापों ने पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में हुए ‘‘चिकित्सा घोटाले’’ का पर्दाफाश किया है। ईडी अधिकारियों ने कहा कि छापेमारी की यह कार्रवाई जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों और प्राथमिकी में लगाए गए उन आरोपों पर आधारित है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (जीएनसीटीडी) की सरकार की स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, अनुचित लागत वृद्धि, अवैध निर्माण और धन के दुरुपयोग से संबंधित हैं।