एससीओ घोषणापत्र में आतंकवाद की निंदा पर सहमति बनाने की कोशिशों में जुटा है भारत: विदेश मंत्रालय

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह के अंत में तियांजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की 25 वीं बैठक में भाग लेने के लिए चीन जा रहे हैं जहां आतंकवाद के मुद्दे पर विशेष रूप से चर्चा होनी है और इसके साथ ही भारत संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद की कड़ी निंदा किये जाने के लिए सदस्य देशों के साथ सहमति बनाने की कोशिशों में जुटा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एससीओ बैठक से इतर विभिन्न देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें किये जाने की भी संभावना है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को एक विशेष ब्रीफिंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 29 अगस्त से 1 सितम्बर तक की जापान और चीन यात्रा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्री मोदी 29 से 30 अगस्त तक जापान यात्रा पर रहेंगे जहां वह जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह 31 अगस्त से एक सितम्बर तक चीन की यात्रा पर रहेंगे और तियांजिन में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की 25 वीं बैठक में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एस सी ओ बैठक से इतर विभिन्न देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन बैठकों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और अभी से इनके बारे में कुछ भी कहा जाना जल्दबाजी होगी।
एससीओ की बैठक के बाद संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद पर चर्चा के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि
25वें एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए घोषणापत्र को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सदस्य देशों और साझीदारों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहा है कि इसमें सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की जाये। उन्होंने कहा कि अभी घोषणा पत्र तैयार नहीं किया जा सका है।
उन्होंने कहा कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी तीन बुराइयों का मुकाबला करने के प्राथमिक लक्ष्य के साथ की गई थी । उन्होंने कहा कि ये तीनों समस्या आज भी चुनौती बनी हुई हैं। श्री लाल ने कहा कि एससीओ की बैठकों में पहले भी आतंकवाद की कड़ी निंदा की गयी है। विशेष रूप से वर्ष 2023 में जब एससीओ की बैठक भारत की अध्यक्षता में यहां हुई तो संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद की कड़ी निंदा की गयी थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में ‘सुरक्षित एससीओ’ के थीम पर जोर दिया गया था जिसका तात्पर्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, संपर्क, एकता, संप्रभुता के लिए सम्मान और प्रादेशिक अखंडता तथा पर्यावरण से था। बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद से मिलकर निपटने की बात कही गयी थी।
उल्लेखनीय है कि गत जून में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था क्योंकि इसमें 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले और सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं का उल्लेख नहीं था, बल्कि बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को शामिल किया गया था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बाद में कहा था कि भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद का उल्लेख चाहता था, लेकिन यह ‘एक सदस्य देश’ को स्वीकार्य नहीं था।

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