जबरन बांग्लादेश भेजे गए 6 बंगाली भाषियों को कानूनी मदद दिलाने की हो रह कोशिशः सामिरूल

कोलकाता{ गहरी खोज }: पश्चिम बंगाल राज्य प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के चेयरपर्सन और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सामिरुल इस्लाम ने बताया कि बीरभूम जिले के छह लोगों को कथित तौर पर दिल्ली से जबरन बांग्लादेश भेजे जाने का मामला हाई कोर्ट के संज्ञान में लाया गया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। सभी पीड़ितों को बांग्लादेशी अदालत में कानूनी मदद दिलाने की कोशिशें जार हैं। सांसद सामिरूल के अनुसार, बांग्लादेश की चंपाई नवाबगंज पुलिस ने इन्हें बीते गुरुवार को पकड़ा और अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। अगली सुनवाई सितंबर में होगी। इनमें दो नाबालिग और एक गर्भवती महिला भी शामिल हैं।
बंगाल पुलिस का कहना है कि ‘अवैध प्रवेश’ के आरोपों की जांच चल रही है। इन्हें दिल्ली पुलिस ने बीएसएफ के हवाले किया था जिसके बाद इन्हें बांग्लादेश बॉर्डर पर लाकर बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स को सौंपा गया है।
पीड़ितों के परिजनों का आरोप है कि वैध दस्तावेज होने के बावजूद केवल बंगाली भाषा बोलने की वजह से उन्हें बांग्लादेश भेजा गया, जहां पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें मुरारई के पाइकर गांव निवासी सोनाली बीबी, उनके पति दानिश शेख और आठ वर्षीय पुत्र सब्बीर शामिल हैं। इसके अलावा धितड़ा गांव की स्वीटी बीबी तथा उसके दो बच्चे कुरबान शेख और छह वर्षीय इमाम देवां भी हैं। ये परिवार लंबे समय से दिल्ली के रोहिणी इलाके में कचरा बीनने का काम करता था।
सोनाली बीबी की मां ज्योत्स्ना बीबी ने भावुक अपील करते हुए कहा, “ममता बनर्जी से निवेदन है कि मेरी गर्भवती बेटी को सुरक्षित घर लाया जाए। बंगला बोलने के कारण ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें पकड़ा और बांग्लादेश भेज दिया।”
वहीं, सोनाली के पिता भुदु शेख ने कहा कि उनके पास सभी वैध दस्तावेज हैं और वे कई पीढ़ियों से भारत में ही रह रहे हैं। इस घटना से परिवार गहरे सदमे में है और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। परिजनों को आशंका है कि कहीं उनके प्रियजन लंबे समय तक बांग्लादेश की जेल में न फंसे रह जाएं।