परमाणु ऊर्जा पर किए वादे संसद में भूली सरकार: जयराम रमेश

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में कहा कि केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन संसद सत्र में उनसे जुड़ा एक भी विधेयक पेश नहीं किया गया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार के समय लाए गए परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 के संशोधन पर भी आपत्ति जताई।
जयराम रमेश में कहा कि बजट भाषण में वित्त मंत्री ने दो प्रमुख सुधारों की घोषणा की थी। पहला, परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 में संशोधन और दूसरा, परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन कर निजी कंपनियों को परमाणु संयंत्र स्थापित करने और उनका संचालन करने की अनुमति देना। उन्होंने कहा कि क्या यसरकार इन विधेयकों को तीन महीने बाद होने वाले शीतकालीन सत्र में पेश करेगी या इन्हें भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उस प्रस्तावित विधेयक का क्या हुआ जो एक स्वतंत्र नियामक निकाय की स्थापना से संबंधित है। ऐसा निकाय जो परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का हिस्सा न हो और जो नियमन की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित कर सके।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार सच में निजी निवेश को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे इन विधायी कदमों को प्राथमिकता देनी चाहिए। नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को अंतिम रूप देने में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के समर्थन के साथ अरुण जेटली और सुषमा स्वराज की अहम भूमिका रही थी। प्रस्तावित संशोधन उन उपलब्धियों को कमजोर करने जैसा होगा।
उल्लेखनीय है कि परमाणु क्षति के लिए बनाए गए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 भारत में परमाणु दुर्घटना से होने वाली क्षति के लिए मुआवजे और दायित्व के लिए बनाया गया था। यह अधिनियम बहुत सख्त और नो-फॉल्ट दायित्व सिद्धांत पर आधारित है। इस अधिनियम के अनुसार, दुर्घटना होने पर संचालक (जैसे एनपीसीआईएल) को बिना गलती साबित किए अधिकतम 1,500 करोड़ रुपये तक का मुआवजा देना होगा। अगर नुकसान ज्यादा हो, तो सरकार और अंतरराष्ट्रीय कोष मदद करते हैं। आपूर्तिकर्ता भी दोषी उपकरण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। यह कानून पीड़ितों को जल्दी मुआवजा दिलाने, परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए बनाया गया है।