चुनौतियों से घिरा संविधान, लोकतंत्र का अभाव: सुदर्शन रेड्डी

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उपराष्ट्रपति पद लिए विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने शनिवार को कहा कि देश में ‘‘लोकतंत्र का अभाव’’ है और संविधान चुनौतियों से घिरा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर चुने जाने की स्थिति में वह संविधान की रक्षा और संरक्षण के लिए संकल्पित रहेंगे। रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विस्तृत साक्षात्कार में अपनी उम्मीदवारी, संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर बहस तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उन पर नक्सलवाद का समर्थन करने का आरोप लगाए जाने सहित कई मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसद में गतिरोध भी आवश्यक है, लेकिन इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग नहीं बनने देना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि पहले घाटे वाली अर्थव्यवस्था की बात होती थी, लेकिन अब ‘‘डेफिसिट इन डेमोक्रेसी’’ (लोकतंत्र का अभाव) है। रेड्डी ने कहा कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र बना हुआ है, फिर भी यह ‘‘मुश्किल में’’ है।
उन्होंने इस विषय पर चर्चा का स्वागत किया कि क्या वर्तमान समय में संविधान पर हमला हो रहा है। रेड्डी ने कहा कि लोकतंत्र व्यक्तियों के बीच टकराव से कम और विचारों के बीच टकराव से ज़्यादा जुड़ा है तथा सरकार और विपक्ष के बीच संबंध बेहतर होने चाहिए। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रेड्डी ने कहा कि ‘‘संविधान को अक्षुण्ण रखने की उनकी यात्रा जारी है, और अंततः अवसर मिलने पर यह संविधान की रक्षा और बचाव में परिणत होगी।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘मैं इस यात्रा को भी ऐसा ही मानता हूँ, और अंततः अवसर मिलने पर यह संविधान की रक्षा और संरक्षण में परिणत होगी… अब तक, मैं संविधान की रक्षा कर रहा था और यही एक न्यायाधीश को दिलाई जाने वाली शपथ है… इसलिए यह यात्रा मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है।’’