पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी में सत्यपाल मलिक और पाकिस्तानी मीडिया हस्ती का भी नाम

गुवाहाटी{ गहरी खोज }: गुवाहाटी पुलिस ने पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर के खिलाफ प्राथमिकी में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (जिनका अब निधन हो चुका है), पाकिस्तानी मीडियाकर्मी नजम सेठी और भारतीय मीडियाकर्मी आशुतोष भारद्वाज के साथ-साथ ‘अज्ञात व्यक्तियों’ का भी नाम शामिल किया है।
गुवाहाटी निवासी बीजू वर्मा द्वारा नौ मई को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ऑनलाइन समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ और उसके कुछ लेखकों व संपादकों ने (अप्रैल के अंत और मई 2025 की शुरुआत के बीच) सिलसिलेवार लेख व टिप्पणियां प्रकाशित की, जो ‘प्रथम दृष्टया भारत की संप्रभुता व सुरक्षा को कमजोर करती हैं, वैमनस्य व सार्वजनिक अव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं और गलत सूचना फैलाती हैं’।
पुलिस ने पिछले सप्ताह इस मामले में वरदराजन और थापर को समन जारी कर 22 अगस्त को अपराध शाखा के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था लेकिन शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने उन्हें पुलिस की कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान कर दी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले मोरीगांव पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में भी दोनों पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान की थी। यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 152 (देशद्रोह), 196, 197(1)(डी)/3(6), 353, 45 और 61 के तहत दर्ज किया गया था।
गुवाहाटी पुलिस ने बृहस्पतिवार को एक अन्य पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। शर्मा ने कहा कि वह कानूनी रूप से जवाब देंगे।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के नजम सेठी का भी साक्षात्कार किया गया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के नजम सेठी को मंच देने से एक “अंतरराष्ट्रीय आयाम” जुड़ता है, जो भारत की संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था को दमनकारी के रूप में प्रस्तुत करने का जोखिम उत्पन्न करता है, और साथ ही यह शत्रु राष्ट्रों द्वारा फैलाए जा रहे विमर्श को बौद्धिक वैधता प्रदान कर सकता है।
उन्होंने कहा, “जब ऐसे साक्षात्कार किसी आतंकवादी हमले के तुरंत बाद लिए जाते हैं और घरेलू व वैश्विक दर्शकों के लिए व्यापक रूप से प्रसारित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल असहमति के रूप में नहीं देखा जा सकता। वे पत्रकारिता की आड़ में गलत सूचना, राजद्रोह और राष्ट्रीय अस्थिरता के साधन बनने का जोखिम पैदा करते हैं।”
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि करण थापर ने ‘द वायर’ पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (जिनका पांच अगस्त को निधन हो गया) जैसे व्यक्तियों के साथ साक्षात्कार किये, जिसमें ‘भारत सरकार के खिलाफ गंभीर व आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं, खासकर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद’।
उन्होंने आरोप लगाया, “ये साक्षात्कार केवल पत्रकारीय पड़ताल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि ये असत्यापित, भड़काऊ व राजनीतिक रूप से संवेदनशील बयानों के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सीमा पार तत्वों द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए भारत को दोषी ठहराते हैं।”
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि इन साक्षात्कारों का बार-बार इस रूप में उपयोग किया जा रहा है कि वे भारतीय अधिकारियों की मिलीभगत, लापरवाही या यहां तक कि षड्यंत्र की ओर इशारा करते हैं — ऐसा संकेत जो सीधे शत्रु प्रचार तंत्र के हित में जाता है और नागरिकों के बीच अविश्वास का बीज बोता है।
शिकायतकर्ता ने कुछ ऐसे लेखों की सूची का उल्लेख किया, जिनमें भारतीय राज्य को “पूरी तरह से अक्षम” दिखाया गया है और पाकिस्तानी आतंकवादियों को “हमसे अधिक चालाक” बताकर महिमामंडित किया गया है।