जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर मंत्रिसमूह की बैठक

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह की महत्वपूर्ण बैठक बृहस्पतिवार को शुरू हुई। बैठक में कर ‘स्लैब’ को घटाकर पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत करने के केंद्र के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श शुरू किया गया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी छह सदस्यीय मंत्री समूह के संयोजक हैं। अन्य सदस्यों में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल शामिल हैं। केंद्र ने वस्तुओं को ‘गुण’ और ‘मानक’ श्रेणी में वर्गीकृत करते हुए पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्लैब का प्रस्ताव किया है। इस वर्गीकरण में अपनाए गए व्यापक सिद्धांत का उद्देश्य मध्यम वर्ग, एमएसएमई और कृषि क्षेत्र पर कर का बोझ कम करना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद द्वारा क्षतिपूर्ति उपकर, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा, तथा दर युक्तिकरण पर जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) से बुधवार को कहा था, ‘‘ दरों को युक्तिसंगत बनाने से आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग एवं और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) को अधिक राहत मिलेगी। साथ ही एक सरलीकृत, पारदर्शी और विकासोन्मुखी कर व्यवस्था सुनिश्चित होगी।’’ इसके बाद, बीमा पर मंत्री समूह की बुधवार शाम बैठक हुई और व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी छूट देने के केंद्र के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी पर जीएसटी छूट दिए जाने से सालाना करीब 9,700 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होने का अनुमान है। हालांकि अधिकतर राज्य इस पर सहमत थे। राज्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि जीएसटी परिषद को एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जीएसटी कटौती का लाभ पॉलिसी धारकों तक पहुंचे। मौजूदा समय में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। खाद्य एवं आवश्यक वस्तुओं पर शून्य या पांच प्रतिशत कर लगता है। वहीं विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जिसके ऊपर उपकर भी लगता है।