दरियागंज में तीन मंजिला इमारत गिरी, तीन मजदूरों की दबकर मौत

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: दरियागंज स्थित अंसारी रोड पर बुधवार दोपहर एक जर्जर तीन मंजिला इमारत का पिछला बड़ा हिस्सा सद्भावना पार्क की दीवार के साथ जमींदोज हो गया। हादसे के समय दूसरी मंजिल पर काम कर तीन मजदूर मलबे के नीचे दब गए। इमारत का मलबा गिरते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। वहां काम कर रहे बाकी मजदूर फौरन ही मदद को भागे। इन मजदूरों ने मलबे के नीचे दबे चाचा-भतीजे को निकालकर तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल भेज दिया। इस बीच सूचना मिलने के बाद पुलिस व फायर की टीम भी वहां पहुंच गई। बचाव दल ने तीसरे मजदूर को मलबे से निकाला।
हॉस्पिटल पहुंचने पर तीनों को मृत घोषित कर दिया गया। मृतकों की पहचान बिहार के मधेपुर जिला निवासी तौफीक, इसके भतीजे जुबैर और एक अन्य गुल सागर के रूप में हुई है। पुलिस ने तीनों के शवों को कब्जे में लेकर एलएनजेपी हॉस्पिटल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
हादसे की सूचना मिलने के बाद पुलिस व दमकल विभाग के अलावा एनडीआरएफ, डीडीएमए, नगर निगम के अलावा बाकी बचाव दल के लोग वहां पहुंच गए। दुर्घटना के बाद से इमारत के मालिक यूसुफ और नदीम के अलावा ठेकेदार मौके से फरार हो गए। दरियागंज थाना पुलिस ने इस संबंध में लापरवाही से मौत का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
डीसीपी निधिन वालसन के मुताबिक, बुधवार तड़के करीब 12:14 मिनट पर दरिया गंज के अंसारी रोड स्थित ए5, 127 इमारत का पीछे का हिस्सा गिरने की दमकल विभाग को सूचना मिली थी। सूचना पर पहुंची दमकल की टीम और स्थानीय पुलिस ने राहत बचाव कार्य शुरू किया और तीन श्रमिकों को मलबे से निकालकर एंबुलेंस की मदद से लोकनायक हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उधर, जांच में पता चला है कि इमारत के मालिक यूसुफ और नदीम ने ठेकेदार को इमारत के ध्वस्तीकरण का जिम्मा दिया हुआ था। जहां पिछले एक महीने से 15 श्रमिक कार्य कर रहे थे और इमारत में ही रह रहे थे। हादसे के बाद आसपास अफरा-तफरी का माहौल बन गया और मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी जमा हो गए। जांच में यह भी पता चला है कि ध्वस्तीकरण के कार्य के दौरान श्रमिकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम उपलब्ध नहीं थे।
हादसे के बाद श्रमिकों ने इमारत के मालिक व ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाए। हादसे में बाल-बाल बचे तुरफान ने बताया कि उन्हें कोई सुरक्षा के उपकरण नहीं मुहैया कराए गए थे। उसने बताया कि प्रतिदिन की तरह बुधवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे इमारत तोड़ने का काम शुरू किया। वह तीसरी मंजिल पर थे। जबकि जुबैर, गुलसागर और तौफीक दूसरी मंजिल से मलवा हटा रहे थे। दोपहर करीब 12 बजे इमारत की पिछले हिस्से की तरफ से तीसरी मंजिल का छत का कुछ हिस्सा गिरा।
उसके बाद पीछे की दीवार भरभराकर गिर गई। अचानक हुई घटना में दूसरी मंजिल में मलबा हटाने का काम कर रहे है तीनों श्रमिक मलबे में दब गए। हादसे के बाद उन्होंने शोर मचाकर मदद मांगी। आसपास भी कई मकानों में काम चल रहा था। वहीं पार्क में भी कई लोग मौजूद थे, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।
तुरफान ने बताया कि उन्होंने अपने साथी इरशाद मकबूल व अन्य के लोगों के साथ मलबे को हटाना शुरू किया। उन्होंने मलबे से सबसे पहले तौफीक को निकाला। उसके बाद जुबैर को बाहर निकाला। तभी फायर व बचाव दल मौके पर पहुंचे और फायरकर्मियों ने जेसीबी की मदद से मलबा हटाकर गुलसागर को निकालकर अस्पताल पहुंचाया। उसने बताया कि अगर उन्हें सुरक्षा के उपकरण मुहैया कराए होते और सेफ्टी का ध्यान देते हुए इमारत तुड़वाते तो आज तीनों जिंदा होते।
दरियागंज हादसे में मौत के मुंह में समा गए जुबैर, तौफीक और गुल सागर के परिजनों के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि वह पोस्टमार्टम के बाद शवों को बिहार अपने गांव ले जा सकें। मजदूरी करके उनको 600 या 700 रुपये मिलते थे। हादसा हुआ तो ठेकेदार व मालिक मौके से भाग निकले हैं। मजदूरों के पास खाने के भी पैसे नहीं थे।
रोते हुए परिजनों ने ठेकेदार और मालिक… से आर्थिक मदद की गुहार लगाई। इसके अलावा परिजन, पुलिस व प्रशासन से गुहार लगा रहे थे कि वह शवों को गांव ले जाने का इंतजाम करा दे। हादसे की सूचना मिलने के बाद बुधवार दोपहर दिल्ली में रहने वाले मजदूरों के परिजन एलएनजेपी अस्पताल पहुंच गए।
एक परिजन ने बताया कि जुबैर कुछ दिनों पहले ही चाचा तौफीक के पास दिल्ली घूमने आया था। तौफीक की मौसी महरुन खातून ने रोते हुए बताया कि एक महीने पहले ही जुबैर बिहार से दिल्ली घूमने आया था। कुछ दिन वह आनंद विहार उनके घर पर रुका। करीब 10 दिन पहले वह अपने चाचा तौफीक के साथ चिड़ियाघर घूमने गया था।
एक अन्य मजदूर इमरान ने बताया कि तीनों ही मजदूर आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से दिल्ली में काम के लिए आए थे। सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक सभी यहां पर काम करते थे। तौफीक के परिवार में पत्नी निशा बेगम के अलावा दो बेटे व दो बेटी हैं। वह बच्चों को पढ़ाने लिखाने के लिए दिल्ली में काम करने आया था।
परिवार में तौफीक ही अकेला कमाने वाला था। गांव में इनकी मौत की सूचना मिलने पर परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। कुछ परिजन इनकी मौत की सूचना मिलने पर बिहार से दिल्ली के लिए रवाना भी हो गए हैं। जुबैर और गुल सागर के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। अब सभी अपने-अपनों की मिट्टी का इंतजर कर रहे हैं।

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