पिछले 11 वर्षों में सत्ता पक्ष ने विपक्ष के साथ भेदभाव कियाः खरगे

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: इंडी गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने आज संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में बैठक कर उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के पक्ष में एकजुटता का प्रदर्शन किया। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एनसीपी (एससीपी) के प्रमुख शरद पवार, डीएमके सांसद त्रिची शिवा, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई समेत कई प्रमुख विपक्षी दलों के नेता उपस्थित थे।
इस अवसर पर खरगे ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में सत्ता पक्ष ने विपक्ष के साथ भेदभाव किया है। संसद में बहुमत के बल पर सरकार जनविरोधी कानून पारित करती रही है, जबकि यह सरकार अल्पमत में है। संसद के मानसून सत्र में देश ने देखा कि कैसे बिना विपक्ष की भागीदारी के विधेयकों को जल्दबाजी और मनमानी से पारित किया गया। विपक्षी सांसदों को बोलने नहीं दिया गया और उन्हें मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है, जिसकी गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखना अनिवार्य है। डॉ. एस. राधाकृष्णन जैसे महान व्यक्तित्वों ने इस पद की गरिमा को स्थापित किया था और राज्यसभा में एक स्वस्थ परंपरा को जन्म दिया था। आज वही परंपराएं टूटती दिख रही हैं और विपक्ष को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। ऐसे समय में विपक्षी दलों ने सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया है कि वे एक ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित करेंगे, जिनका पूरा जीवन संविधान, लोकतंत्र और न्यायिक मूल्यों के प्रति समर्पित रहा हो।
राहुल गांधी ने भी इस मौके पर रेड्डी के अनुभव और सोच की सराहना करते हुए कहा कि वे एक ऐसे न्यायाधीश हैं, जिनके पास दशकों का कानूनी अनुभव है और वे संविधान के सच्चे उपासक हैं। रेड्डी ने तेलंगाना में सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेषकर जातिगत जनगणना पर आधारित योजनाओं के निर्माण में। न्यायमूर्ति रेड्डी एक वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध और बुद्धिमान व्यक्ति हैं जो सभी दलों में सम्मानित हैं।
इसके बाद खरगे ने अपने एक्स पोस्ट के ज़रिए रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का विपक्ष का उम्मीदवार चुने जाने का कारण बताते हुए कहा कि यह चुनाव केवल एक संवैधानिक पद के लिए नहीं बल्कि देश की आत्मा और लोकतंत्र की दिशा तय करने वाला चुनाव है। रेड्डी भारतीय न्यायशास्त्र के प्रमुख स्तंभ रहे हैं और उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समानता के पक्ष में कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जो भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं।