जागरूकता, सत्य की खोज और समाज को नई दिशा देने का उत्तरदायित्व है पत्रकारिता : मुख्यमंत्री

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  • मुख्यमंत्री ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सत्रारंभ पर आयोजित अभ्युदय-2025 कार्यक्रम को किया संबोधित
  • मुख्यमंत्री ने पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का किया अनावरण

भोपाल { गहरी खोज }: मध्‍य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पत्रकारिता, सम्प्रेषण का ही स्वरूप है और प्रत्येक युग में सम्प्रेषण कला का विशेष महत्व रहा है। रामायण काल में हुनमान जी के संवाद हों या महाभारत काल के यक्ष प्रश्न, दोनों में हुए सम्प्रेषण ने इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सम्प्रेषण और पत्रकारिता में किसी भी घटना की प्रभावशीलता को व्यापक या सूक्ष्म स्वरूप देने की क्षमता विद्यमान है। वर्तमान और आने वाले समय में पत्रकारिता विधा में दक्ष हो रहे विद्यार्थियों पर यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे सूचना सम्प्रेषण के माध्यम से समाज के नैतिक मूल्यों और लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के‍लिए सदैव सजग, सक्रिय और तत्पर रहें। सत्य के लिए संघर्षशीलता से ही पत्रकारिता का समृद्ध स्वरूप जीवंत रहेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वर्ष 2025-26 के सत्रारंभ तथा नवागत विद्यार्थियों के प्रबोधन कार्यक्रम अभ्युदय 2025 को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रोचार के बीच दीप प्रज्‍ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘अभ्युदय’ का अर्थ मात्र आरंभ नहीं, बल्कि निरंतर जागरूकता, सत्य की खोज और समाज को नई दिशा देने वाले उत्तरदायित्व की यात्रा है। नारद जी को पत्रकारिता का आद्य प्रवर्तक माना जाता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की पूरे देश में विशिष्ट पहचान है। यह गौरव का विषय है कि दादा माखनलाल का जन्म मध्यप्रदेश के बबाई नगर में हुआ और उन्होंने खंडवा को अपनी कर्मभूमि बनाया। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से समाज को अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ एकजुट करने के साथ सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने हिंदी भाषा को पुनर्प्रतिष्ठित करने का महत्वपूर्ण अभियान चलाया। उन्होंने गौमाता और गौशाला के संरक्षण के लिए सागर में ब्रिटिश हुकूमत के सामने आंदोलन कर मोर्चा खोल दिया था। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी और श्रद्धेय माधवराव सप्रे ने अपने पत्रकारीय कार्यों से हिंदी भाषा को समृद्ध भी किया। विश्वविद्यालय के माध्यम से पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन के विविध गौरवशाली पक्षों को आगे लाने के लिए गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरू को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का माध्यम माना गया है। गुरू की इस गरिमा को स्थापित करने के उद्देश्य से ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हमने कुलपति के स्थान पर ‘कुलगुरु’ शब्द के प्रयोग की परंपरा प्रारंभ की। यह हमारी शिक्षा परंपरा में गुरु को सर्वोच्च स्थान देने का प्रतीक है। राज्य सरकार भारतीय ज्ञान परम्परा के साथ ही देश की संस्कृति के प्रति भी संवदेनशील है। हमारे प्रत्येक त्यौहार में कोई न कोई संदेश निहित है, जनसामान्य इन संदेशों में विद्यमान अर्थ को समझें, इस उद्देश्य से राज्य सरकार ने सभी त्यौहार धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में विजयादशमी को मात्र रावण दहन तक सीमित न रखते हुए इस महत्वपूर्ण त्यौहार पर शस्त्रपूजन भी आरंभ किया गया है।
प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जब-जब देश को आवश्यकता हुई, युवा पीढ़ी ने देश की बेहतरी के लिए संघर्ष किया। उन्होंने चाणक्य की सम्प्रेषण कला का उल्लेख करते हुए कहा कि सामान्य नागरिक, सामान्य हितचिंतक और परस्पर संस्कृतियों का सम्मान करते हुए किया गया सम्प्रेषण सर्वाधिक प्रभावी और ग्राह्य होता है। उन्होंने हनुमानजी और अंगद को सम्प्रेषण कला का विशेषज्ञ बताया। राष्ट्रीय समरसता के सांस्कृतिक पृष्ठ को गढ़ने वाले आचार्य, दादा माखनलाल चतुर्वेदी के नाम से स्थापित यह विश्वविद्यालय, सम्प्रेषण विधा की शिक्षा में इस भूमिका का श्रेष्ठतम स्वरूप में निर्वहन कर रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने लक्ष्य के संबंध में स्पष्टता रखें, अपनी विधा में दक्ष हों और तटस्थता तथा ईमानदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। उन्होंने सोशल मीडिया के दौर में विश्वसनीयता के संकट का जिक्र करते हुए कहा कि युवा पत्रकारों को अपनी भाषा, पत्रकारिता की समझ और समाचार लेखन में दक्षता प्राप्त करने के लिए कम से कम तीन साल प्रिंट मीडिया में अवश्य कार्य करना चाहिए। विश्वास ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा विश्वविद्यालयों में कुलपति को कुलगुरू का संबोधन प्रदान करने की पहल की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने अभ्युदय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की प्राथमिकताओं तथा आरंभ किए गए नवाचारों की जानकारी दी। कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय, विधायक रामेश्वर शर्मा, विधायक भगवानदास सबनानी, विधायक उमाकांत शर्मा सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने परिसर में स्थापित दादा माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण किया और विश्वविद्यालय के सत्रारंभ अवसर पर पौधरोपण अभियान के अंतर्गत का पौधा रोपा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंच पर मां सरस्वती, भारत माता और दादा माखनलाल चतुर्वेदी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही 100 साल : 100 सुर्खियां-स्वाधीनता से पहले और स्वाधीनता के बाद की देश की महत्वपूर्ण घटनाओं पर विभिन्न समाचार पत्रों के फ्रंट पेज कवरेज पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को कर्मवीर समाचार पत्र का चित्र और विश्वविद्यालय द्वारा विकसित साहित्य भेंटकर विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ. विजय मनोहर तिवारी ने स्वागत किया। उन्हें जनजातीय चित्रकला से निर्मित चित्र भी भेंट किया गया। प्रख्यात कवि कुमार विश्वास और सचिव जनसंपर्क डॉ. सुदाम खाड़े ने भी पौधरोपण किया।

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