राहुल गांधी को अल्टीमेटम

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संपादकीय { गहरी खोज }: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा लगातार लगाए जा रहे ‘वोट चोरी’ के आरोप को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता नहीं है और शिकायत दर्ज कराना चाहता है तो वह केवल शपथ लेकर गवाह के रूप में ही ऐसा कर सकता है। गौरतलब है कि’ वोट चोरी’ का आरोप लगाते हुए लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 31 जुलाई को संवाददाता सम्मेलन में प्रस्तुति के माध्यम से 2024 के लोक सभा चुनाव के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधान सभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक वोट चोरी हुए थे। गांधी ने अन्य राज्यों में भी इसी तरह की अनियमितताओं का आरोप लगाया था। कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने गांधी से अपने दावों पर शपथपत्र दाखिल करने को कहा था, लेकिन गांधी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को गांधी के आरोपों पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि क्या निर्वाचन आयोग को शिकायतकर्ता द्वारा शपथपत्र दिए बिना 1.5 लाख मतदाताओं को नोटिस जारी करना चाहिए?’ उन्होंने कहा कि अगर 7 दिन के भीतर शपथपत्र नहीं दिया जाता है, तो दावे निराधार और अमान्य माने जाएंगे। उन्होंने कहा कि निराधार आरोप लगाने वालों को देश से माफी मांगनी चाहिए। कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा कि सूरज पूर्व दिशा में ही उगता है, किसी और जगह नहीं, सिर्फ इसलिए कि कोई ऐसा कहता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न तो आयोग और न ही मतदाता दोहरे मतदान तथा ‘वोट चोरी’ के आरोपों से डरते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी त्रुटियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दल आयोग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने दोहरे मतदान और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को निराधार करार दिया तथा कहा कि सभी हितधारक पारदर्शी तरीके से एसआईआर को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। विपक्ष द्वारा बिहार में एसआईआर के समय पर सवाल उठाए जाने पर कुमार ने कहा कि यह एक मिथक है कि एसआईआर जल्दबाजी में किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूची को सही करना निर्वाचन आयोग का कानूनी कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल और उनके नेता बिहार में एसआईआर के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। निर्वाचन आयोग सभी राजनीतिक दलों से बिहार में मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने का आग्रह करता है। अभी 15 दिन बाकी हैं। निर्वाचन आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं तथा बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से मिलकर काम कर रहे हैं।’ कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता तथा सत्तारूढ़ और विपक्षी दल, दोनों ही चुनाव प्राधिकार के लिए समान हैं। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव याचिकाएं 45 दिन के भीतर दायर नहीं की जातीं, लेकिन वोट चोरी के आरोप लगाए जाते हैं, तो यह भारतीय संविधान का अपमान है।’ उन्होंने कहा कि आयोग कुछ लोगों द्वारा खेली जा रही राजनीति की परवाह किए बिना सभी वर्गों के मतदाताओं के प्रति दृढ़ रहेगा। उन्होंने सवाल किया, ‘चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। क्या इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में वोट चोरी हो सकती है?’ यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कांग्रेस द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बाद अपना हमला तेज कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है। चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह निर्वाचन आयोग से कहा था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करे, साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। कांग्रेस द्वारा अपनाई नीति को लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने राज में ‘वोट चोरी’ की है। अब वोट चोरी का आरोप लगाकर, ‘चोर मचाए शोर’ वाली बात कर रही है। चुनाव आयोग वोटर लिस्ट की शुद्धता कर रहा है, ताकि एक भी घुसपैठिया न रहे। देश की जनता भ्रामक प्रचार में आने वाली नहीं है। झूठ के पैर नहीं होते हैं। जनता सब जानती है, क्या सही है क्या नहीं है।
बिहार की मतदाता सूची से कटे 65 लाख मतदाताओं के नाम का मामला देश के सर्वोच्च न्यायालय के सामने है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से कटे नामों की सूची वैबसाइट पर डाल दी है। इसके बावजूद भी केवल राजनीतिक स्वार्थ हित को प्राथमिकता देते हुए राहुल गांधी और उनके सहयोगी ‘वोट चोरी’ होने का आरोप चुनाव आयोग पर लगा रहे हैं, यह बात देशहित में नहीं है। चुनाव आयोग पर प्रश्न चिन्ह लगाकर एक संवैधानिक संस्था जो 100 करोड़ के करीब मतदाताओं की सूचियों को बनाने व उनका निरीक्षण करने का आजादी के बाद से लगातार कार्य करती आ रही है उस की साख व छवि को कमजोर करने का प्रयास है। यह व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाली बात है। पड़ोसी देश बांग्लादेश व पाकिस्तान में भी ‘वोट चोरी’ के नाम पर भ्रम फैलाकर सत्ता परिवर्तन कराया गया। भारत में ऐसे हालात पैदा करने का अर्थ है, देश में अराजकता फैलाना व देश विरोधी ताकतों को सक्रिय होने का मौका देना।
राहुल गांधी व उनके सहयोगियों को भ्रम फैलाने की बजाये तथ्यों सहित अपनी बात चुनाव आयोग या सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख रखनी चाहिए ताकि देशवासियों के सामने सत्य आ सके। इसके लिए चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भी दिया है। नोटिस को गंभीरता से लें वरना सात दिनों बाद वह स्वयं कटघरे में खड़े दिखाई देंगे।

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