बागी बलिया का सत्तू अब डाकघर से भी बिक्री होगा: कर्नल विनोद

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75 रुपए में आधा किलो का पैकेट उपलब्ध,विभाग को बहुत अच्छा रेवेन्यू मिलने की उम्मीद
वाराणसी{ गहरी खोज }: भारतीय डाक विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल (पीएमजी) कर्नल विनोद कुमार ने मंगलवार को कैंट स्थित प्रधान डाकघर से बाग़ी बलिया के सत्तू की बिक्री की शुरुआत की। विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के अंतर्गत बाग़ी बलिया के सत्तू के विक्रय की सुविधा पहली बार की जा रही है। इसके लिए कोई भी व्यक्ति वाराणसी के डाकघरों में जाकर सत्तू का पैकेट 75 रुपए में आधा किलो ख़रीद सकता है। पीएमजी कर्नल विनोद ने बताया कि जब जम्मू-कश्मीर से स्थानांतरण होने के बाद वह पहली बार बनारस में आए तो यहाँ के जीवन में सत्तू के महत्वपूर्ण स्थान के बारे में जानकर बहुत आश्चर्य हुआ। और उन्होंने उसी समय निश्चय कर लिया कि बनारस और आस पास के क्षेत्रों में डाकघर के माध्यम से सत्तू की बिक्री करवायेंगे । जिससे जहां आम जनता को सही मूल्य पर बाग़ी बलिया का प्रसिद्ध व्यंजन मिलेगा। वहीं, इस सेवा द्वारा भारतीय डाक विभाग को बहुत अच्छा रेवेन्यू प्राप्त होगा। इसके पीछे का राज यही है कि यह सत्तू बलिया से सीधे डाकघरों तक पहुंचाया जाएगा और उपभोक्ता को उचित दर पर उपलब्ध होगा।
ज्ञातव्य है कि सत्तू उत्तर प्रदेश के घर— घर में प्रयोग होता है। यह पौष्टिक नाश्ते के रूप में खाया और खिलाया जाता है। फ़िलहाल बनारस के साथ साथ चंदौली, मुगलसराय, जौनपुर, बलिया, नौगढ़ और गाज़ीपुर जैसे जिलों में भी सत्तू बिक्री की व्यवस्था की गई है, ताकि लोग अपने पसंदीदा व्यंजन का स्वाद लें सकें। यहाँ ये बात गौर करने लायक है कि सत्तू एक वैसा व्यंजन है जिसे आप एक बढ़िया एनर्जी ड्रिंक के रूप में पी भी सकते हैं और आटे की तरह सान कर खा भी सकते हैं, दोनों ही अवस्था में सत्तू अपनी पौष्टिकता बरकरार रखता है।
कर्नल विनोद ने बताया कि उनके पास सत्तू के कई वर्जन जैसे सत्तू के अलग-अलग फ्लेवर गुलाब की खुशबू, कैसर के स्वाद वाला सत्तू और चॉकलेट स्वाद का सत्तू आदि प्रयोगात्मक रूप में दिमाग़ में मौजूद है। परम्परागत सत्तू भुने चने को पीस कर तैयार किया जाता है , जिसे पानी में घोलकर पीया जा सकता है और स्वाद के लिए इसमें काला नमक और पुदीना तथा नींबू डाल कर बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि बचपन में सुनी कहानियों में सत्तू का जिक्र होता था।
सहायक निदेशक परमानंद ने बताया कि सत्तू बिक्री के आने से स्टाफ के लिए भी फ़ायदा होगा क्योंकि उनको इसकी खरीद के लिए कहीं और नहीं जाना होगा। कार्यक्रम में निधि उद्योग के प्रतिनिधि सौरभ ने बताया कि बलिया के सत्तू को छोटे चने से बनाया जाता है जो मलाई चने के नाम से मशहूर है। कार्यक्रम के बाद पहले ग्राहक के रूप में कर्नल विनोद ने सत्तू का पहला पैकेट खरीदा और उनके साथ ही डाकघर में मौजूद जनता ने सत्तू के पैकेट विक्रय करने शुरू किए।
कर्नल विनोद ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों के प्रोत्साहन और ओडीओपी को ध्यान में रखते हुए सत्तू की बिक्री के लिए वाराणसी परिक्षेत्र में 100 डाकघरों में ये सेवा शुरू की गई है । सफल होने पर इसका विस्तार उत्तर प्रदेश के सभी डाकघरों में किया जाएगा । यूपी में सफल होने पर देश के अन्य राज्यों के साथ पूरे भारत में सत्तू बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में नई पीढ़ी कृत्रिम रूप से तैयार हो रहे पेय पदार्थों को इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य को हानि पहुँचा रही है । वहीं, प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सत्तू का उपयोग करने से उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होगा। इस अवसर पर डाक अधीक्षक बलिया हेमंत और वाराणसी वेस्ट अधीक्षक सुरेश ने भी विचार रखा।

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