अमेरिकी शुल्क से भारत की दीर्घकालिक संभावनाओं पर प्रभाव पड़ने के आसार नहीं:एसएंडपी

0
full33829

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: अमेरिका के उच्च शुल्क से भारत की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं पर प्रभाव पड़ने के आसार नहीं है, क्योंकि सरकार आर्थिक सुधारों पर ध्यान दे रही है और लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाने का प्रयास कर रही है।
साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर पिछले सप्ताह ‘बीबीबी’ कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीतिगत उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार किया है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक यीफार्न फुआ ने कहा, ‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि वृद्धि की यह गतिशीलता अगले तीन वर्ष तक जारी रहेगी और औसत वृद्धि दर करीब 6.8 प्रतिशत रहेगी। अगर भारत में बुनियादी ढांचे और संपर्क में सुधार होता है, तो इससे दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि में बाधा डालने वाली अड़चनें दूर होंगी। साथ ही भारत की संभावित वृद्धि यात्रा और आगे बढ़ेगी।’’
फुआ ने भारत की रेटिंग बढ़ाने पर आयोजित ‘वेबिनार’ में कहा कि भारत दुनिया की सबसे मजबूत और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत पिछले तीन से चार वर्ष में अपने क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में वृद्धि के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
उच्च अमेरिकी शुल्क के प्रभाव पर एसएंडपी एशिया प्रशांत के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कम व्यापार-उन्मुख है, जिसमें बाह्य मांग का योगदान समग्र अर्थव्यवस्था में केवल 15 प्रतिशत है और 85 प्रतिशत घरेलू कारकों द्वारा संचालित है। राणा ने कहा, ‘‘ यह एक बहुत ही घरेलू अर्थव्यवस्था है। यह सुरक्षा का एक कारक है।’’ उन्होंने कहा कि एक अन्य कारक यह है कि भारत से निर्यात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर 50 प्रतिशत का उच्च शुल्क लागू नहीं होता है।
राणा ने कहा, ‘‘ यह एक जटिल माहौल है। कई ऐसे कारक हैं जो अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले समग्र प्रभाव को कम कर सकते हैं। फिर भी हम अर्थव्यवस्था पर कुछ अल्पकालिक विश्वास-संबंधी प्रभाव देख सकते हैं। मध्यम अवधि में संरचनात्मक कारक अनुकूल विकास पथ, बुनियादी ढांचा और निरंतर अनुकूल व्यावसायिक महौल वृद्धि पथ का निर्धारण करेंगे।’’ अमेरिका भेजे जाने वाले भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क सात अगस्त से लागू हो गया है। रूस से कच्चा तेल एवं सैन्य उपकरण खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से अमल में आएगा। फुआ ने साथ ही कहा कि भारत आर्थिक सुधारों, राजकोषीय समेकन और बुनियादी ढांचे में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। शुल्क के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि एसएंडपी रेटिंग पर निर्णय लेते समय दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाती है और दवा एवं उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक को क्षेत्रीय छूट दी जाती है। फुआ ने कहा, ‘‘ निर्यात के मामले में अमेरिका के प्रति भारत का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का मात्र एक प्रतिशत है। इसलिए, भले ही शुल्क ऊंचे बने रहें हमें नहीं लगता कि इसका भारत की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं पर कोई समग्र प्रभाव पड़ेगा। अल्पावधि में इससे वृद्धि पर कुछ मामूली असर पड़ सकता है लेकिन दीर्घावधि में हमारा मानना है कि भारत की विकास गाथा मजबूत बनी रहेगी।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *