किश्तवाड़ में एक महिला का शव बरामद, बादल फटने की घटना में मरने वालों की संख्या 64 हुई

किश्तवाड़{ गहरी खोज }: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में बादल फटने की घटना के बाद से चल रहे बचाव और तलाशी अभियान में मंगलवार को एक और महिला का शव बरामद हुआ है, जिससे इस हादसे में मरने वालों की संख्या 64 हो गई है। व्यापक बचाव और राहत अभियान आज छठे दिन भी जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि मौसम में सुधार के साथ तेज़ हुए तलाशी अभियान के बीच आज सुबह बचावकर्मियों ने सड़ी-गली लाश देखी और उसे बरामद कर लिया। खोजी कुत्तों ने एक ढहे हुए घर के मलबे के नीचे से एक अन्य पीड़ित के शरीर के निचले हिस्से को भी बरामद करने में मदद की, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि यह उस व्यक्ति के शव का हिस्सा है, जिसे त्रासदी के पहले दिन बरामद किया गया था।बचाव दल कई स्थानों पर खासकर लंगर (सामुदायिक रसोई) स्थल के पास मुख्य प्रभावित स्थान पर मलबे में ‘जिंदगी’ की तलाश कर रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक एक और शव मिलने के साथ 14 अगस्त को मचैल माता मंदिर जाने वाले आखिरी गांव चशोती में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है। मृतकों में तीन सीआईएसएफ कर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि कुल 167 लोगों को बचाया गया है, जबकि सोमवार को सूची में नए सिरे से संशोधन के बाद लापता लोगों की संख्या घटकर 39 रह गई है।
एसडीआरएफ के पुलिस उपाधीक्षक मसूफ अहमद मिर्जा ने कहा कि बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है। इलाके की जांच के लिए एक टीम नीचे की ओर भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि बादल फटने का प्रभाव क्षेत्र बहुत बड़ा है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि हमने ऊपर की ओर एक बड़े क्षेत्र को साफ कर दिया है और अब हम नीचे की ओर भी एक टीम भेज रहे हैं।
सेना की जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कोर ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बल की पांच राहत टुकड़ियां बचाव और राहत कार्यों में लगी हुई हैं और अतिरिक्त चिकित्सा टीमों को तैनात करके प्रयासों को और तेज कर दिया गया है। सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चशोती नाले पर एक बेली ब्रिज का निर्माण किया, जिससे मचैल माता मंदिर के लिए आवश्यक संपर्क स्थापित हो गया। सेना ने बचाव और राहत अभियान को तेज़ करने के प्रयासों के तहत कुछ ऑल-टेरेन वाहन भी तैनात किए हैं।
पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीआईएसएफ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीमें बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। बचावकर्मी एक दर्जन से ज़्यादा अर्थ-मूवर और अन्य भारी उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ ने बचाव अभियान में तेज़ी लाने के लिए डॉग स्क्वॉड सहित अपने संसाधन जुटाए हैं। बचावकर्मियों ने पिछले तीन दिनों में आधा दर्जन से ज़्यादा नियंत्रित विस्फोट करके खोज में बाधा डाल रहे विशालकाय पत्थरों को उड़ा दिया।