रांची आबकारी मामले में IAS विनय सक्सेना को कोर्ट से ऐसे मिली राहत

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: रांची की एक अदालत ने शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहने पर निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को मंगलवार को जमानत दे दी। बहरहाल, चौबे को तुरंत जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि वह हजारीबाग में जमीन से संबंधित एक मामले में भी आरोपी हैं।
चौबे के वकील देवेश अजमानी ने कहा कि अदालत को बताया गया कि इस मामले में 92 दिन बीत चुके हैं, लेकिन एसीबी ने आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है। उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में निर्देश दिया है कि अगर तय समय में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया जाता, तो आवेदक जमानत का हकदार हो जाता है। अभी चौबे राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती हैं। एसीबी अदालत ने उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 187(2) के तहत जमानत दी थी।
अजमानी ने बताया कि अदालत ने उन्हें जमानत के लिए 25,000 रुपये के दो निजी मुचलके जमा करने, बिना अनुमति के राज्य से बाहर न जाने और अपना मोबाइल नंबर न बदलने का निर्देश दिया है। चौबे ने अपनी याचिका में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
याचिका में दावा किया गया था कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। एसीबी ने चौबे को 20 मई को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ लगे आरोपों के मद्देनजर राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। चौबे पर 38 करोड़ रुपये की शराब बिक्री से जुड़े घोटाले में शामिल होने का आरोप है।

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