इन्कम टैक्स और गृह मंत्रालय में नौकरी का झांसा दे 10 लाख ठगे, दो गिरफ्तार

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नई दिल्ली { गहरी खोज }: इन्कम टैक्स और गृह मंत्रालय में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर एक परिवार से 10.45 लाख रुपये ठगने वाले बी ब्लॉक शकूरपुर के रहने वाले कौशल किशोर और अरुण कुमार को नेताजी सुभाष पैलेस पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से जाली जॉइनिंग लेटर, कन्फर्मेशन लेटर, जाली पहचान पत्र और अपराध में इस्तेमाल किए गए दो मोबाइल फोन जब्त किए हैं। आरोपी इस तरह से रैकेट चलाकर कई लोगों से धोखाधड़ी करके लाखों रुपये अपने बैंक खातों में जमा कर चुके थे। उनके मोबाइल फोन,सोशल मीडिया अकाउंट व बैंक खातों की डिटेल खंगालकर पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अभी तक आरोपियों ने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीते बुधवार को नेताजी सुभाष पैलेस थाने में महिंद्रा पार्क, रानी बाग में रहने वाले जितेन्द्र राय नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि पिछले साल दिसंबर महीने में, आरोपी कौशल किशोर श्रीवास्तव और अरुण कुमार यादव उनकी दुकान पर आए और बातचीत के दौरान बताया कि उनकी किसी तरह से सरकार और सरकारी विभागों में अच्छी खासी बातचीत है। उसकी बेटी को आयकर विभाग में लोअर डिवीजन क्लर्क पद पर नौकरी दिलवाने के नाम पर पांच लाख और उसके लिए गृह मंत्रालय में माली का पद के लिये दो लाख रुपये ले लिये।
यहीं नहीं आरोपियों ने उसकी बेटी को एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय में ले जाकर उसकी कैंटीन में भी बैठाया था। आरोपियों उसकी बेटी को इन्कम टैक्स विभाग में डयूटी करने के लिये दो दिन बाद आने के लिये भी कहा। उनको फर्जी ज्वाइनिंग लेटर आदि भी दिया। एसीपी सुश्री सृष्टि भट्टकी देखरेख में एसएचओ राजकुमार सिंह के निर्देशन में पुलिस टीम ने पीडि़त से आरोपियों के फोन नंबर और बैंक खातों की डिटेल ली। जिसके बाद एक पुख्ता जानकारी के बाद दोनों आरोपियों को उनके ठिकाने पर छापेमारी करके गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ करने पर पता चला कि दोनों पिछले कई महीनों से यह रैकेट चला रहे थे और बेरोजगार युवाओं और जरूरतमंद परिवारों को आयकर विभाग और गृह मंत्रालय जैसे प्रतिष्ठित सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उन्हें अपना निशाना बनाते थे। आरोपी सरकारी नौकरियों की बढ़ती मांग से वाकिफ थे और उन्होंने इसका इस्तेमाल निजी आर्थिक लाभ के लिए निर्दोष लोगों को धोखा देने के लिए किया। वे खुद को विभिन्न सरकारी कार्यालयों में अच्छी पहचान की बात करते थे। पीडि़तों को विश्वास दिलाने के लिए वे फर्जी पहचान पत्र, जाली नियुक्ति पत्र और मनगढ़ंत पत्राचार का इस्तेमाल करते थे।

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