पैसा है तो जेल में मिलेंगी वीवीआई सुविधाएं! तिहाड़ जेल के अधीक्षक समेत 9 कर्मचारी निलंबित

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: एक बार फिर से वीवीआई कैदियों को लग्जरी सुविधाएं देने के मामले में तिहाड़ जेल विवादों में हैं। ठगी के आरोप में बंद सुकेश चंदशेखर के बाद अब तिहाड़ के पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि जेल अधीक्षक समेत 9 कर्मचारियों ने जबरन वसूली रैकेट जेल में चलाया हुआ था,जिसके जरिए ये लोगों हर माह लाखों रुपए वसूलते थे।
यही नहीं जो कैदी उन्हें वसूली नहीं देता था उसके साथ ये लोग मारपीट और गंदा व्यवहार करते थे। मामले में सीबीआई की एक रिपोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायलय के आदेश पर तिहाड़ जेल अधीक्षक समेत 9 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
बता दे कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष तिहाड़ जेल में जबरन वसूली व रुपए लेकर कैदियों को सुविधाएं देने के मामले में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि जबरन वसूली रैकेट के संबंध में तिहाड़ जेल कर्मचारियों व कैदियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आरोप है कि तिहाड़ जेल में रुपया लेकर कैदियों को सुविधा उपलब्ध कराया जाता था।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अभी तक की कार्रवाई में जबरन वसूली के आरोपी सभी नौ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं अदालत को आश्वासन दिया कि दिल्ली सरकार दो महीने के अंदर अदालत में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जाएगी। अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील की दलील ऑन रिकॉर्ड लेते हुए कहा कि अनुशासनात्मक नियमों का कानून के अनुसार सख्ती से पालन किया जाए और दिल्ली सरकार और सीबीआई दोनों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह यानी दो माह का समय दिया। अदालत मामले में अगली सुनवाई 28 अक्टूबर करेगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में सोमवार को तिहाड़ जेल में जबरन वसूली व रुपए लेकर कैदियों को सुविधाएं देने के मामले में हुई सुनवाई के दौरान कड़ी चिंता व्यक्त की थी और टिप्पणी की थी कि तिहाड़ जेल अधिकारियों के द्वारा कुछ कैदियों को अनुचित विशेषाधिकार प्रदान करना अस्वीकार्य है। जबकि अन्य को बुनियादी जरूरतों से वंचित रखा जाता है। अदालत ने सीबीआई को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया था, जिसमें अवैध गतिविधियों में कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच मिलीभगत की की बात कही गई थी।
यह मामला कारोबारी मोहित कुमार गोयल की याचिका पर शुरू किया गया था, मोहित कुमार को धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। गोयल ने आरोप लगाया कि तिहाड़ जेल के अंदर जबरन वसूली का नेटवर्क चल रहा था। उनके आरोपों के बाद, अदालत ने सितंबर 2024 में विशेष न्यायाधीश की अगुवाई में जांच टीम बना कर तिहाड़ जेल का निरीक्षण करने का आदेश दिया था।
निरीक्षण करने वाले न्यायाधीश की 7 अप्रैल की रिपोर्ट में कहा गया कि तिहाड़ जेल में जबरन वसूली के लिए जेल के लैंडलाइन का दुरुपयोग किया गया और जेल अधिकारियों से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं की बात कही गई थी। इस पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने 2 मई को सीबीआई को एक जांच शुरू करने का निर्देश दिया व साथ ही दिल्ली सरकार को जबरन वसूली रैकेट चलाने वालों की सहायता करने वाले अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था।

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