राजकोट सिविल अस्पताल ने लौटाई नंदलाल डाभी की मुस्कान

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आयुष्मान कार्ड के तहत घुटने की सफल सर्जरी से दो साल से रुका जीवन फिर पटरी पर
राजकोट{ गहरी खोज }: सौराष्ट्र क्षेत्र के वीरपुर के थोराला गाँव के रहने वाले नंदलालभाई वेलजीभाई डाभी की ज़िंदगी का पहिया एक सड़क दुर्घटना के बाद रुक गया था। निजी अस्पताल में महंगे ऑपरेशन के बावजूद उनका दाहिना पैर घुटने से पूरी तरह जवाब दे चुका था और चलना लगभग असंभव हो गया था। लेकिन राजकोट सिविल अस्पताल के अस्थि रोग विभाग की विशेषज्ञ टीम ने आयुष्मान कार्ड योजना के तहत उनका मुफ्त ऑपरेशन कर न केवल उनके पैर को नया जीवन दिया, बल्कि उनकी खुशियाँ भी लौटा दीं।
करीब दो साल पहले सड़क हादसे में नंदलालभाई के दाहिने पैर की नसें टूट गई थीं। निजी अस्पताल में कराया गया ऑपरेशन सफल नहीं रहा और समय के साथ घुटने की हालत बिगड़ती गई। थक-हारकर वे अपने परिवार के साथ राजकोट सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ. श्रीपाल दोशी ने जांच के बाद तत्काल भर्ती और सर्जरी की सलाह दी।
यूनिट-2 की टीम—विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेश डी. रामावत, यूनिट प्रमुख डॉ. निकुंज डी. मारू, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु परमार, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रीपाल दोशी, डॉ. क्रुणाल मिस्त्री और रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम—ने सफल घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी पूरी की। ऑपरेशन के बाद नंदलालभाई भावुक होकर बोले, “निजी अस्पताल में ऑपरेशन के बाद मैं चल नहीं सकता था और दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे फिर से पैरों पर खड़ा कर दिया। यहाँ का माहौल घर जैसा है, स्टाफ सहयोगी है और सफाई बेहतरीन है। अब मैं खुद जांच के लिए अस्पताल आ सकता हूँ। ”परिवार ने इसे ‘चमत्कार’ बताते हुए कहा, “निजी अस्पताल में करीब तीन लाख रुपये का खर्च होने वाला यह ऑपरेशन यहाँ आयुष्मान कार्ड योजना के तहत मुफ्त में हुआ। हम पूरे सिविल अस्पताल के आभारी हैं।”
राजकोट सिविल अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में सौराष्ट्र के हर कोने से मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहाँ लिगामेंट, टेंडन और घुटनों से जुड़ी गंभीर समस्याओं का इलाज उच्च स्तर पर किया जाता है। आयुष्मान योजना और अस्पताल की विशेषज्ञता से नंदलालभाई डाभी जैसे कई मरीज फिर से जीवन की राह पर चलने लगे हैं।

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