ऑस्ट्रेलिया के सेनाध्यक्ष भारत यात्रा पर, साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करके चार दिवसीय यात्रा शुरू की
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: ऑस्ट्रेलिया के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करके अपनी यात्रा शुरू की। वीरों को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने साउथ ब्लॉक में एक भव्य गार्ड ऑफ ऑनर का भी निरीक्षण किया। इस समारोह में दोनों देशों के बीच साझा सैन्य लोकाचार और सौहार्द की झलक देखने को मिली, जिसने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत और स्थायी रक्षा संबंधों को रेखांकित किया।
लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट 11 से 14 अगस्त तक भारत की यात्रा पर आये हैं। इस दौरान वे भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय चर्चा करेंगे। उनकी भारत यात्रा को दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने, संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण और रक्षा उद्योग में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट की यह यात्रा भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के मात्र चार महीने बाद हो रही है, जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स एडमिरल डेविड जॉनस्टन और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की थीं। इन बैठकों में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, क्षमता निर्माण, रक्षा प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और नई द्विपक्षीय पहलों पर जोर दिया गया था।
ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख के इस चार दिवसीय दौरे में संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास, रक्षा तकनीक और परिचालन तालमेल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस दौरान वे भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय चर्चा करेंगे। सेना सूत्रों के अनुसार उनकी यह यात्रा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, जो भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी और सैन्य क्षेत्र में बढ़ते रिश्तों को मजबूत करती है, क्योंकि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर और नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं।