यह राजनीतिक नहीं, संविधान बचाने की लड़ाई: राहुल गांधी

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और चुनावों में कथित ‘वोट चोरी’ को लेकर इंडी गठबंधन के नेताओं ने सोमवार को संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकालने की कोशिश की। इस दौरान उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में इस विरोध को सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान बचाने की लड़ाई बताया।
23 सेकेंड के इस वीडियो में राहुल गांधी पुलिस वैन में बैठे नजर आ रहे हैं। वीडियो में उन्होंने कहा कि सच्चाई ये है कि हम बात नहीं कर सकते हैं। सच्चाई देश के सामने है। यह लड़ाई राजनीतिक नहीं है। यह संविधान बचाने की लड़ाई है। एक व्यक्ति, एक वोट की लड़ाई है।
उन्होंने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि आज जब हम चुनाव आयोग से मिलने जा रहे थे, इंडी गठबंधन के सभी सांसदों को रोका गया और हिरासत में ले लिया गया। वोट चोरी की सच्चाई अब देश के सामने है। यह लड़ाई राजनीतिक नहीं- यह लोकतंत्र, संविधान और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के अधिकार की रक्षा की लड़ाई है। एकजुट विपक्ष और देश का हर मतदाता मांग करता है। साफ-सुथरी वोटर लिस्ट और ये हक हम हर हाल में लेकर रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस मार्च में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता शामिल रहे। करीब के एक घंटे के प्रदर्शन के दौरान सांसदों ने ‘वोट चोरी रोको’ और ‘एसआईआर खत्म करो’ जैसे नारे लगाए। कई नेताओं ने सफेद रंग की टोपी पहन रखी थी, जिस पर एसआईआर और वोट चोरी लिखा हुआ था और उस पर लाल रंग का क्रॉस का निशान बना हुआ था।
पुलिस ने इस विरोध मार्च को रोकने के लिए पहले से ही संसद भवन से कुछ दूरी पर आरबीआई गेट के पास बैरिकेडिंग कर रखी थी। जैसे ही सांसद बैरिकेडिंग के पास पहुंचे, उन्हें वहीं रोक दिया गया। इसके विरोध में अखिलेश यादव, आदित्य यादव और धर्मेंद्र यादव बैरिकेड फांद गए। इस दौरान मौके पर भारी पुलिस बल तैनात था और विरोध तेज होते ही पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश सहित कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि एसआईआर की आड़ में लाखों नाम हटाए जा रहे हैं और यह लोकतंत्र के खिलाफ है।

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