होना नहीं है नॉर्मल, हो सकते हैं एडीएचडीके शिकार, डॉक्टर से जानें क्या है यह स्थिति?

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: बहुत से माता-पिता अक्सर यह मान लेते हैं कि बच्चे का चंचल और शरारती होना उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। सच यह भी है कि बच्चों की जिज्ञासा, ऊर्जा और दुनिया को जानने की चाहत ही उन्हें इधर-उधर भागने, चीजों को छूने, देखने और समझने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन बच्चों की स्वाभाविक चंचलता कब एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या बन जाती है, लोगों को पता नहीं चलता इसलिए इसे समझना बेहद जरूरी है। डॉ. पूजा कपूर, बाल रोग विशेषज्ञ, कॉन्टिनुआ किड्स की निदेशक और सह-संस्थापक कहती हैं कि यह एडीएचडी यानी Attention Deficit Hyperactivity Disorder की स्थिति भी हो सकती है। चलिए डॉक्टर से इस कंडीशन के बारे में जानते हैं।
एडीएचडी क्या है?
डॉक्टर के अनुसार, एडीएचडी एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें दो प्रमुख लक्षण होते हैं – बच्चों में एकाग्रता की कमी या फिर बहुत ज़्यादा सक्रियता और आवेग का होना। हर बच्चा स्वाभाविक रूप से एक्टिव होता है, लेकिन जब उसकी सक्रियता इस हद तक बढ़ जाए कि वह अपनी उम्र के अनुसार अपेक्षित गतिविधियों में ध्यान न दे पाए, तो यह सामान्य नहीं माना जाता।
कब करनी चाहिए चिंता?
अगर कोई 6-7 साल का बच्चा है, और वह क्लास में 15 मिनट तक भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता, एक जगह बैठ नहीं पाता, शिक्षक के निर्देशों को लगातार अनदेखा करता है, या फिर हर सवाल के बाद बीच में बोलने लगता है – तो यह एडीएचडी का संकेत हो सकता है। यदि बच्चा बोर्ड से दो लाइनें लिखने को कहने पर भी केवल एक लाइन लिख पाता है और फिर ध्यान भटक कर बाहर देखने लगता है, पेंसिल से खेलने लगता है, तो यह एकाग्रता की कमी का लक्षण है।
बच्चे में एडीएचडी के संकेत
सक्रियता और आवेगशीलता की स्थिति में बच्चा टिककर बैठ नहीं पाता, क्लास या गेम के दौरान नियमों का पालन नहीं करता, बीच में ही उठकर इधर-उधर भागने लगता है। अगर कोई खेल जैसे लूडो या बैट-बॉल चल रहा है तो वह कुछ देर बाद उसमें रुचि खोकर चीजें फेंकने लगता है, या बिना टर्न के ही खेल में दखल देने लगता है।
एडीएचडी से प्रभावित बच्चों की सामाजिक चुनौतियाँ?
एडीएचडी से प्रभावित बच्चों के लिए दोस्त बनाना और निभाना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वे टीमवर्क, नियमों का पालन और सहयोग में अक्सर पिछड़ जाते हैं। वे जल्द चिड़चिड़े हो सकते हैं, अपनी बात को बार-बार कह सकते हैं, और दूसरों को परेशान कर सकते हैं।
बच्चे में एडीएचडी के संकेत
कैसे करें एडीएचडी का निदान?
एडीएचडी का औपचारिक डायग्नोसिस 6 साल की उम्र के बाद ही किया जाता है। 6 साल तक बच्चों में सक्रियता स्वाभाविक मानी जाती है। लेकिन जब बच्चा स्कूल में नियमों के साथ बैठना, ध्यान देना, या खेलों में नियमों का पालन करने में कठिनाई महसूस करे, तो यह संकेत हो सकता है। डायग्नोसिस करते समय डॉक्टर कई पहलुओं पर गौर करते हैं:
जेनेटिक फैक्टर: क्या माता-पिता में से किसी को ऐसी प्रवृत्ति रही है?
एनवायरमेंटल फैक्टर: क्या घर का वातावरण बच्चे को संतुलित विकास के लिए प्रेरित करता है?
डाइट और स्क्रीन टाइम: क्या बच्चे की दिनचर्या में असंतुलन है?
पैथोलॉजिकल कारण: जैसे कोई न्यूरोलॉजिकल स्थिति, आंखों या सुनने की समस्या, या कोई दुर्लभ बीमारी (जैसे X-linked Adrenoleukodystrophy) जो Hyperactivity से जुड़ी हो सकती है।
क्या करें माता-पिता?
अगर बच्चे में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, अत्यधिक चंचलता, काम अधूरा छोड़ने, नियमों को न मानने जैसी प्रवृत्तियां लगातार दिख रही हैं, और यह उसकी पढ़ाई, व्यवहार और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रही हैं, तो इसे अनदेखा न करें। किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।,समय पर निदान और सही मार्गदर्शन से एडीएचडी से प्रभावित बच्चों को समझा और बेहतर दिशा दी जा सकती है।