रक्षाबंधन के दिन मनाई जाएगी नारली पूर्णिमा, जानें कैसे और कब करनी है पूजा

0
narali-1754627357

धर्म { गहरी खोज } : हिंदू पंचांग में सावन की पूर्णिमा तिथि न केवल रक्षा बंधन का पावन पर्व लाती है बल्कि समुद्र देवता से जुड़ा एक त्योहार भी साथ लाती है। यह त्योहार समुद्र से जुड़े समुदाय मनाते हैं, इसे नारली पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह दिन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कोंकण और दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है। यह पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा, ठीक उसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी है। ऐसे में इसकी धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है। माना जाता है कि यह त्योहार मछुआरा समुदाय के लिए बेहद खास होती है।

नारली पूर्णिमा कब है?
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 08 अगस्त को दोपहर 02.12 बजे होगा, जो 9 अगस्त की दोपहर 01.24 बजे तक रहेगा। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि की मान्यता है ऐसे में 9 अगस्त को ही नारली पूर्णिमा मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- तड़के 04.22 बजे से 05.04 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- तड़के 04.43 से 05.47 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02.40 बजे से 03.33 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07.063 बजे से 07.27 बजे तक

कैसे करनी है इस दिन पूजा?

सुबह जल्दी स्नान करें और साफ कपड़े पहनें
फिर पूजा के स्थान या समुद्र/नदी के किनारे को गंगाजल से शुद्ध करें।
अब भगवान वरूण देव की मानसिक स्थापना करें और उनका ध्यान करें।
फिर एक नारियल लें और उस पर हल्दी-कुमकुम लगाएं, लाल कपड़ा बाधें और समुद्र देव को अर्पित करें
धूप-दीप, अक्षत, फूल, चंदन और जल से भगवान वरुण की पूजा करें।
पूजा के अंत में वरूण देव के मंत्रों (ॐ वरुणाय नमः) का जप करें।
अंत में प्रसाद वितरित करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *