गुजरात की आँगनबाड़ी बहनों ने सरहद के जवानों की रक्षा के लिए भेजीं 3.5 लाख से अधिक राखियाँ, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज

गांधीनगर { गहरी खोज }:देश की सीमाओं की दिन-रात सुरक्षा में लगे सेना के जवानों के लिए रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर गुजरात की आँगनबाड़ियों बहनों ने रक्षा के प्रतीक के रूप में साढ़े तीन लाख से अधिक राखियाँ तैयार की गई हैं और ये राखियाँ इन कर्तव्य परायण जवानों को भेजी गई हैं।
राज्य की लगभग 53 हजार आँगनबाड़ी बहनों ने सरहद के संतरियों यानी सेना के जवानों की रक्षा के लिए ये राखियाँ भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक के रूप में तैयार की हैं। गुरुवार को गांधीनगर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में यह रक्षासूत्र कलश सीमावर्ती बलों के जवानों को प्रतीक के रूप में सौंपा गया।
गुजरात की इस पहल को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने इससे संबंधित सर्टिफिकेट और मेडल मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किए।
सीमा पर तैनात जो जवान अपने परिवार से दूर रहकर मातृभूमि की रक्षा के लिए समर्पित हैं, उनकी सदैव रक्षा की भावना के साथ महिला एवं बाल कल्याण मंत्री भानुबेन बाबरिया के मार्गदर्शन में आँगनबाड़ी बहनों ने श्रावण माह की पूर्णिमा-रक्षाबंधन पर्व के उपलक्ष्य में ये राखियाँ तैयार की हैं। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और अपने घर-परिवार से दूर रहने वाले सेना के जवानों की रक्षा के लिए बहनों ने यह रक्षासूत्र बनाया है। हमारी सेना ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाकर देश की बहनों के सिंदूर की रक्षा की है।
उन्होंने कहा कि गुजरात की बहनों ने ऐसे वीर जवानों की रक्षा का कवच राखियों के जरिये प्रदान कर भाई-बहन के प्रेम के त्योहार को राष्ट्रभक्तिमय बनाया है। सेना (आर्मी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के गांधीनगर स्थित जवानों ने इस रक्षासूत्र कलश को सहर्ष स्वीकार किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. विक्रांत पांडे, महिला एवं बाल विकास सचिव राकेश शंकर, महिला एवं बाल विकास आयुक्त डॉ. रणजीत कुमार सिंह, महिला एवं बाल कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ के जवान, प्रोग्राम ऑफिसर तथा गांधीनगर महानगर पालिका की आँगनबाड़ी कार्यकर्ता बहनें आदि उपस्थित रहे।