विशेष रूप से अस्थिरता एवं अनिश्चितता के समय में आईएमईसी जैसी पहल आवश्यक है: फ्रैंचेस्को चालो

नयी दिल्ली { गहरी खोज }: महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) के लिए इटली के दूत फ्रैंचेस्को चालो ने कहा कि आईएमईसी परियोजना ‘‘काफी उम्मीदों’’ के साथ शुरू की गई और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के कारण पैदा हुई अस्थिरता एवं अनिश्चितता के दौर में ऐसी पहलों की विशेष रूप से आवश्यकता होती है। चालो ने दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में बुधवार को ‘पीटीआई-वीडियो’ से एक विशेष साक्षात्कार में यह भी कहा कि 2023 में नयी दिल्ली में इस परियोजना की शुरुआत के एक महीने से भी कम समय बाद सात अक्टूबर को इजराइल पर एक ‘‘भयानक हमला’’ हुआ और इससे परियोजना प्रभावित हुई।
दूत ने कहा, ‘‘इसलिए, चीजें धीमी पड़ गईं और जहां थीं वहीं थम गईं लेकिन अब इसमें नयी रुचि पैदा हुई है।’’ इजराइल-हमास संघर्ष अब भी जारी है और पश्चिम एशिया क्षेत्र ने पिछले दो वर्ष में व्यापक अस्थिरता एवं अनिश्चितता देखी है, जिसमें जून में इजराइल और ईरान के बीच हाल में हुआ 12 दिवसीय सैन्य टकराव भी शामिल है। चालो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि विशेष रूप से अस्थिरता या अनिश्चितता के समय में हमें इस तरह की परियोजनाओं (आईएमईसी) की आवश्यकता है। हमें विभिन्न आधारों पर कार्य करने के लिए तैयार रहना होगा। केवल एक ही मार्ग, एक ही वार्ताकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के अत्यधिक परस्पर निर्भरता के समय में एक ओर तो हमें किसी एक विकल्प पर ‘‘बहुत अधिक निर्भर नहीं’’ रहना चाहिए और दूसरी ओर परस्पर निर्भरता की व्यवस्था में रहना चाहिए।
अनुभवी राजनयिक चालो इस सप्ताह की शुरुआत में आईएमईसी पहल में भागीदार देशों के प्रतिनिधियों की एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आए। उन्होंने भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि उनकी अन्य लोगों से भी मिलने की योजना है ताकि वह सहयोगी देश भारत के महत्व को बेहतर ढंग से समझ सकें। राजनयिक ने कहा कि दिल्ली में ही आईएमईसी के विशेष दूतों के बीच ‘‘पहली बैठक’’ हुई थी। चालो ने कहा, ‘‘सितंबर 2023 में जब इस परियोजना की शुरुआत हुई थी, तब मैं यहां मौजूद था। मैं अपनी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ था और हमारे पास अपने देशों के लिए, हमारे साझा हितों के लिए एक महान अवसर का एक स्पष्ट दृष्टिकोण था।’’ उन्होंने कहा कि आईएमईसी की शुरुआत ‘‘बहुत उम्मीदों’’ के साथ हुई थी। आईएमईसी का उद्देश्य सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और नौवहन नेटवर्क स्थापित करना है। इसका उद्देश्य एशियाई, पश्चिम एशियाई और पश्चिमी देशों के बीच एकीकरण सुनिश्चित करना है।
आईएमईसी पहल को सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अंतिम रूप दिया गया। इस गलियारे के लिए भारत, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका और कुछ अन्य जी20 भागीदारों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस अंतरराष्ट्रीय संपर्क परियोजना में यूरोपीय संघ में शामिल इटली, फ्रांस और जर्मनी भागीदार हैं। रणनीतिक मामलों पर नजर रखने वाले कई विशेषज्ञों ने आईएमईसी को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का संभवतः जवाब बताया है। बीआरई एक विशाल बुनियादी ढांचा एवं संपर्क परियोजना है जिसमें बड़ी संख्या में देश शामिल होंगे। इटली के दूत ने कहा, ‘‘वे (आईएमईसी और बीआरआई) प्रकृति में एक दूसरे से अलग हैं। उनके सदस्य भी अलग हैं। मुझे आईएमईसी को बीआरआई के खिलाफ पेश करने का विचार पसंद नहीं है। यह हमारे लिए, हमारे सहयोगियों के लिए, हमारे लोगों के लिए है।’’
इटली 2019 में बीआरआई में शामिल हुआ था। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, इटली ने चार साल बाद इससे बाहर निकलने की घोषणा की थी। चालो ने कहा कि जब आईएमईसी के दृष्टिकोण को साकार करने की बात आती है, तो वित्तीय और व्यावहारिक बुनियादी ढांचे से जुड़ी चुनौतियां सामने आती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कई देश शामिल हैं। हम सभी जानते हैं कि यह आसान नहीं होगा।’’ चालो ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘जब केवल एक ही देश समृद्ध हो’’ तो असल सुरक्षा और शांति नहीं मिल सकती इसलिए पूरे क्षेत्र के विकास की आवश्यकता है और निस्संदेह नवोन्मेष इन बदलावों का बेहतर नेतृत्व कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे भारत में पहले से ही देख रहे हैं।’’