सफलता चूमेगी कदम अगर बच्चों को याद करा दिए गीता के ये संस्कृत श्लोक

धर्म { गहरी खोज } : 9 अगस्त 2025 को संस्कृत दिवस मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर अपने बच्चों को गीता के 5 श्लोक जरूर याद कराएं। ये श्लोक बच्चों को सफलता की ओर ले जाएंगे। उनका मन पढ़ाई से भटकने नहीं देंगे और उनके अंदर अच्छे संस्कार उत्पन्न करेंगे। इन श्लोकों को पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे मनुष्य अपने हर काम को बेहतर तरीके से कर पाता है। चलिए देखते हैं ये कौन से शक्तिशाली संस्कृत श्लोक हैं।
बच्चों के लिए गीता के संस्कृत श्लोक
- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
- मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थ- इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, न कि कर्मों के फल पर, इसलिए व्यक्ति को फल की इच्छा छोड़कर कर्म करते रहना चाहिए। प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को ये श्लोक जरूर याद कराना चाहिए। ये श्लोक बच्चों को सिखाएगा कि अगर वह कोई काम करते हैं, तो उसके परिणाम के बारे में सोचकर परेशान न हों। वो सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान दें क्योंकि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अगर बच्चों को मनमुताबिक परिणाम नहीं मिलता है तो वह काफी उदास हो जाते हैं। ऐसे में यह श्लोक उन्हें ओर भी ज्यादा सकारात्मक बनाएगा।
- ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
अर्थ- इस श्लोक में कहा गया है कि हम जिस विषय-वस्तु के बारे में सोचते रहते हैं, उससे हमें उससे लगाव हो जाता है। इससे उस वस्तु को पाने की इच्छा पैदा होती है और उसके पूरा न होने पर क्रोध की उत्पत्ति होती है। इसलिए, मनुष्य को किसी भी चीज के अत्यधिक लगाव से दूर रहना चाहिए। अक्सर बच्चों में ये आदत देखी जाती है कि वे जल्दी ही किसी भी चीज से लगाव रखने लगते हैं और अगर उनकी इच्छा पूरी नहीं होती तो वे बिल्कुल टूट जाते है। ऐसे में यह श्लोक बच्चों को सिखाएगा कि किसी भी चीज से ज्यादा लगाव रखना उनके खुद के विकास के लिए ठीक नहीं है।
- सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः।।
अर्थ– इस श्लोक का मतलब है कि व्यक्ति जैसा विश्वास करता है, वैसा ही बन जाता है, इसलिए मनुष्य को खुद पर विश्वास रखना चाहिए और अपनी सोच सकारात्मक रखनी चाहिए। गीता का यह श्लोक आपके बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और उन्हें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा।
- यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
अर्थ- श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी काम करते हैं, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही आचरण या वैसा ही काम करते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं। यह श्लोक बच्चों को श्रेष्ण बनने में मदद करेगा और उन्हें अच्छा आचरण करने के लिए प्रेरित करेगा।
- श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
अर्थ- श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त करते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति को प्राप्त होते हैं। यह श्लोक बच्चों को एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगा जिससे सफलता उनके कदम चूम लेगी।