मालेगांव धमाका

संपादकीय { गहरी खोज }: 2008 में मालेगांव बम विस्फोट को लेकर आये फैसले में न्यायालय ने सभी सात आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। पांच पहले बरी हो चुके हैं। नासिक की विशेष एनआईए अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि आतंकवाद का धर्म नहीं होता और सिर्फ शंका पर सजा नहीं सुनाई जा सकती। धमाके की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की। एटीएस ने अभिनव भारत समूह के सदस्य दक्षिणपंथी उग्रवादियों पर दोष मढ़ा था। अभियोजन पक्ष का दावा था कि यह विस्फोट दक्षिणपंथी उग्रवादियों ने नासिक के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव में मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से किया गया था। बाद में मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई। अभियुक्तों के प्रारंभिक रिमांड से लेकर आरोप पत्र दाखिल करने, आरोप तय करने, मुकदमे की शुरुआत और अंततः फैसले तक, यह मामला 2008 से 2025 के बीच पांच जजों के हाथों से गुजरा। विस्फोट के पीड़ितों और अभियुक्तों, दोनों ने जजों के इस लगातार बदलाव को मुकदमे की गति धीमी करने और इसमें लंबी देरी का एक महत्वपूर्ण कारण बताया। ज अदालत ने कहा, बाइक प्रज्ञा की और पुरोहित आरडीएक्स लाए, यह साबित नहीं हुआ। ज अभियोजन ठोस सुबूत नहीं दे सका, सभी आरोपितों को देना होगा संदेह का लाभ। ज आतंकवाद का नहीं होता कोई धर्म, संदेह के आधार पर नहीं हो सकती दोषसिद्धि। ज् षड्यंत्र के प्रमुख गवाहों के बयान अभियोजन पक्ष के मामले को पुष्ट नहीं करते। ज बम मोटरसाइकिल के बाहर रखा गया होगा, न कि उस पर लगाया गया होगा। ज घटनास्थल का पंचनामा दोषपूर्ण, साक्ष्य दोषयुक्त परिणाम निर्णायक नहीं। ज आवाज के नमूनों के सुबूत गलत, इंटरसेप्शन की अनुमति नहीं थी, इस पर भरोसा नहीं। जपीड़ितों और मृतकों के परिवारों ने कहा, वे फैसले को बांबे हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
फैसले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि यह साबित हो गया कि आतंकवाद कभी भगवा नहीं था और न होगा। उन्होंने कहा कि अपने फायदे के लिए कांग्रेस ने झूठ फैलाया और उसे देश से माफी मांगने चाहिए। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अदालत का फैसला उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जिन्होंने इस घटना को भगवा आतंकवाद कहा था। उन्होंने कहा, मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। 17 साल हो गए हैं, निर्दोष लोगों को बहुत लंबे समय तक जेल में रखा गया। यह आज के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मालेगांव ने उन्हें निर्दोष करार दिया है। पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए भाजपा व नरेंद्र मोदी के उदय को रोकने और अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा था। आज सोनिया गांधी और राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। प्रसाद ने ये भी मांग की कि पार्टी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित बरी किए गए आरोपियों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। भगवा आतंकवाद की धारणा गढ़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने अदालत का फैसला आते ही यूटर्न लिया है। दिग्विजय ने कहा, आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता। मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम व वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने कहा कि कांग्रेस नेताओं, खासकर दिग्विजय सिंह को भगवा आतंकवाद की कहानी गढ़ने और संतों को बदनाम करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।
मालेगांव धमाका मुस्लिम बहुमत इलाके में हुआ था, इसी कारण तत्कालीन सरकार ने इसे भगवा आतंकवाद का नाम देते हुए तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों का लाभ लेने का प्रयास किया, लेकिन इस फैसले ने उस समय की सरकारों की रीति-नीति को बेपर्दा कर दिया है। अब प्रश्न यह है कि धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी, फिर इस हादसे के लिए जिम्मेवार कौन है? घटना को भगवा आतंकवाद देने के लिए षड्यंत्र भी तो रचा जा सकता है। इसके पीछे विदेशी हाथ भी हो सकता है, इन बातों को लेकर भी छानबीन होनी चाहिए।