कर्तव्य भवन-3 में गृह, विदेश समेत 6 से ज्यादा मंत्रालयों के होंगे दफ्तरः मनोहर लाल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत निर्मित कर्तव्य भवन-3 के बारे में बताया कि यह भवन 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा और इसमें कुल 850 कार्यालय कक्ष होंगे। भवन में दो बेसमेंट, एक ग्राउंड फ्लोर और छह मंजिलें होंगी। गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय इस भवन से संचालित होंगे, जिन्हें जल्दी ही इस इमारत से संचालित किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने मीडियाकर्मियों से कहा कि अब तक मंत्रालय जिन भवनों से संचालित हो रहे थे, वे शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसे पुराने ढांचे थे, जिनका निर्माण 1950 से 1970 के बीच हुआ था। इन इमारतों के रखरखाव में कठिनाइयां थीं।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के प्रधान सचिव के. श्रीनिवास ने बताया कि यह इमारत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी और आईटी-सक्षम, सुरक्षित कार्यस्थल के रूप में विकसित की गई है। इसमें आईडी कार्ड आधारित एंट्री, फ्लैप बैरियर, मेटल डिटेक्टर, बैग स्कैनर, गाड़ी स्कैनिंग सिस्टम, बूम बैरियर, वाहन ब्लॉकर और पावर फेंसिंग जैसी उच्च सुरक्षा व्यवस्था होगी। भवन के भीतर-बाहर 700 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिनकी निगरानी 24 घंटे कंट्रोल रूम से की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कर्तव्य भवन-3 को जीआरआईएचए-4 रेटिंग प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जो पर्यावरण के अनुकूल निर्माण है। इसमें रूफटॉप सोलर पैनल, सोलर वॉटर हीटर, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट और रिसाइकल मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। निर्माण में मलबे का पुनः प्रयोग, हल्की दीवारों का उपयोग और ऊपरी मिट्टी के संरक्षण जैसे उपाय किए गए हैं। इससे भवन न केवल ऊर्जा कुशल होगा, बल्कि अपनी जल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पुनर्चक्रण से पूरा करेगा। इस इमारत में 600 गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा भी दी गई है। इसके अलावा एक एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर पूरे सेंट्रल विस्टा की निगरानी करेगा। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आम नागरिकों की पहुंच आसान और सुरक्षित हो, जबकि संवेदनशील क्षेत्रों में गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण है, बल्कि शासन की कार्यक्षमता, पारदर्शिता और दक्षता में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। मिशन कर्मयोगी, ई-ऑफिस और डिजिटल गवर्नेंस जैसी पहलों को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए इस भवन को तकनीकी रूप से सक्षम बनाया गया है।
इस भवन में फ्लोर-वाइज मंत्रालयों का भी व्यवस्थित वितरण किया गया है। ग्राउंड फ्लोर पर सार्वजनिक सुविधाएं और स्वागत कक्ष हैं। पहला फ्लोर पेट्रोलियम मंत्रालय को समर्पित है, दूसरा फ्लोर एमएसएमई और डीओपीटी मंत्रालयों को, तीसरा फ्लोर विदेश मंत्रालय को, जबकि चौथा, पांचवां और छठा फ्लोर पर गृह मंत्रालय के दफ्तर होंगे है। पांचवें फ्लोर पर गृह मंत्री का कार्यालय होगा और छठे फ्लोर पर खुफिया ब्यूरो (आईबी) का कार्यालय होगा
सेंट्रल विस्टा क्षेत्र राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैला है, जिसमें संसद भवन, नॉर्थ-साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति निवास, नेशनल म्यूजियम और अन्य ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं। सरकार इस पूरे इलाके को एक सुरक्षित, टिकाऊ और आधुनिक सरकारी प्रशासनिक केंद्र के रूप में पुनः विकसित कर रही है। कर्तव्य भवन-3 इसी व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है और यह दर्शाता है कि कैसे आधुनिक तकनीक और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ शासन व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है।
कर्तव्य भवन-3 के सामने स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय और निर्माणाधीन इमारतों सहित पूरा क्षेत्र एक आधुनिक कार्यकारी केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत नई संसद भवन का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है और अन्य इमारतों जैसे सीसीएस 4, 5, 2 आदि का काम प्रगति पर है। आने वाले वर्षों में ये सभी भवन सरकार की कार्यप्रणाली को केंद्रीकृत, सुचारू और दक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाले दस कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट भवनों में से पहला है। शेष भवनों का निर्माण कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाएगा और सभी मंत्रालयों का स्थानांतरण 30 अप्रैल 2026 तक कर दिया जाएगा।

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