औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने किए समझौते

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने औषधीय पौधों के संरक्षण से संबंधित सोमवार को दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। निर्माण भवन में केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव की उपस्थिति में इन दोनों एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। पहले एमओयू पर एनएमपीबी और पुणे, महाराष्ट्र के ईश वेद-बायोप्लांट्स वेंचर ने हस्ताक्षर किए। दूसरे त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर एनएमपीबी, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बीच हस्ताक्षर किए गए।
प्रतापराव जाधव ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2047 तक एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत बनाने का दृष्टिकोण हमारे प्रयासों में मार्गदर्शक है। उन्‍होंने कहा कि ये समझौते भारत की समृद्ध औषधीय पादप विरासत संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण साबित होंगे। हम पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ समेकित कर प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में सार्थक प्रगति कर रहे हैं।
एनएमपीबी और ईश वेद-बायोप्लांट्स वेंचर के बीच समझौता ज्ञापन का उद्देश्‍य ऊतक संवर्धन विधियों से दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त औषधीय पौधों के जर्मप्लाज्म (पौधों और जीवों की आनुवांशिक संरचना सामग्री) का संरक्षण और रखरखाव करना है। समझौते में दोनों पक्ष औषधीय पादप क्षेत्र और आयुष उद्योग के विकास तथा लाभ के लिए अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों के उपयोग के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करेंगे।
एनएमपीबी, एआईआईए और एम्स के बीच हुए दूसरे समझौते के तहत एम्‍स परिसर में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा औषधीय पौध उद्यान की स्थापना की जाएगी और औषधीय पौधों के बारे में जन जागरूकता फैलाई जाएगी। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले मरीजों और विद्यार्थियों में औषधीय पौधों के बारे में जन जागरूकता बढ़ेगी तथा अस्पताल परिसर में आने वाले आगंतुकों को भी लाभ मिलेगा।

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