हाईकोर्ट ने लगाया गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के पूर्व डीन पर 2 लाख का जुर्माना

0
64edb65a9a534f096182d48638007597

जबलपुर{ गहरी खोज }: गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में पूर्व डीन सलील भार्गव पर फर्जी हलफनामा देने का आरोप के साथ नियुक्ति प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। कॉलेज में अस्पताल प्रबंधक और सहायक प्रबंधक की नौकरी से अयोग्य बताते हुए वंचित कर दिया गया था। उच्च न्यायालय में जस्टिस विवेक जैन ने एक दिन पहले यानी गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कॉलेज की भर्ती प्रक्रिया को अवैध मानते हुए,मनोहर की उम्मीदवारी रद्द करने को गैरकानूनी ठहराया और संबंधित नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। इसके साथ ही तत्कालीन डीन डॉ.सलील भार्गव पर कोर्ट ने रिटायरमेंट की उम्र को देखते हुए एफआईआर की जगह दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
मनोहर सिंह ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में अस्पताल प्रबंधक, सहायक प्रबंधक और डिप्टी रजिस्ट्रार के पदों पर आवेदन किया था। कॉलेज ने उन्हें पहले डिप्टी रजिस्ट्रार के लिए तो पात्र माना, लेकिन अस्पताल प्रबंधक और सहायक प्रबंधक के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। कारण बताया गया कि उनकी डिग्री मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन नहीं है, बल्कि सामान्य एमबीए है। जबकि मनोहर ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर से एमबीए (हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन) की पढ़ाई की थी और इसका उल्लेख उनकी मार्कशीट में साफ-साफ दर्ज था। हद तो यह थी कि जिस डिप्टी रजिस्ट्रार पद के लिए उन्हें उपयुक्त बताया गया था। पूर्व डीन भार्गव और कॉलेज की ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि आवेदन में सिर्फ डिग्री की प्रति मांगी गई थी, इसलिए उन्होंने केवल डिग्री को देखा और उसमें हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन शब्द नहीं होने के कारण मनोहर को अयोग्य मान लिया। लेकिन कोर्ट ने पाया कि आवेदन पत्र में साफ लिखा था कि सभी मार्कशीट की सत्यापित प्रतियां भी देना जरूरी है।
कोर्ट ने गांधी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन डीन डॉ. सलील भार्गव पर झूठा हलफनामा देने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने यह दावा किया कि मनोहर का ओबीसी सर्टिफिकेट डिजिटल नहीं था, जबकि कोर्ट ने रिकॉर्ड से पाया कि वह बाकायदा डिजिटल था। इसमें क्यूआर कोड है और वेबसाइट से भी इसका वेरिफिकेशन सही पाया गया है। कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन डीन सलील भार्गव ने कोर्ट को गुमराह किया है। उनके खिलाफ बीएनएस की धारा 227 के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाए। लेकिन उनकी उम्र 64 वर्ष है और वह रिटायरमेंट के करीब हैं, जिसे देखते हुए उन्हें 2 लाख रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।
मध्य प्रदेश पुलिस कल्याण कोष में 80 हजार रुपए, राष्ट्रीय रक्षा कोष में 40 हजार रुपए, सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में 40 हजार रुपए, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में 20 हजार रुपए, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को 20 हजार रुपए यदि यह जुर्माना राशि 90 दिनों में जमा नहीं होती, तो पुलिस कमिश्नर भोपाल को उचित कानूनी कार्रवाई करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *