मनोज झा ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ संसद में निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की

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नई दिल्ली { गहरी खोज }: राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्य मनोज झा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए उनकी तुलना लोकप्रिय कॉमिक्स के मुख्य पात्र चाचा चौधरी के नकारात्मक गुणों से की। उन्होंने ट्रंप के बार-बार सीज फायर के बयान देने को लेकर सवाल उठाया और सदन से उनके बयानों की एकतरफा निंदा करने का प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग की। उन्होंने सदन से ट्रंप को सदी का सबसे बड़ा झूठा व्यक्ति करार देने की भी मांग की।
मनोज झा ने कहा कि पहलगाम हमले से देश को सामूहिक पीड़ा है। इस हमले में 26 परिवारों को निशाना बनाया गया और यह दुख केवल उन परिवारों का नहीं, बल्कि पूरी भारतीय जनता का है। जब खुफिया एजेंसियों के पास हमले की जानकारी थी तो फिर सरकार ने इस मामले में ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा चूक देश की सुरक्षा व्यवस्था और जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है। पहलगाम में जो हुआ वह देश की सामूहिक पीड़ा को दर्शाता है। पीड़ा सिर्फ मृतकों की नहीं, हम सबकी है। अब समय आ गया है कि सदन पहलगाम से लेकर सारी घटनाओं के लिए कहे कि हम क्षमा प्रार्थी हैं। पूरे सदन को सामूहिक रूप से पूरे देश से इस हमले के लिए माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल एक नारा नहीं हो सकती, यह एक नैतिक कर्तव्य और जिम्मेदारी है। हमले में कश्मीर में लोगों ने न केवल अपनी जान गंवाई, बल्कि उन्होंने एकजुटता का परिचय भी दिया। कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद लोग अपने कंधे पर शहीदों का शव लेकर चल रहे थे, दुकानों के शटर डाउन कर रहे थे और आतंकवादियों के खिलाफ एकजुट हो रहे थे।
राजद सदस्य मनोज झा ने कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर केवल जमीन का टुकड़ा नहीं है, बल्कि वहां के लोग भी देश का हिस्सा हैं। अगर कश्मीर के लोग और वहां की स्थिति इतनी महत्वपूर्ण है तो क्यों सरकार वहां की चुनी हुई सरकार को पूरा सम्मान और अधिकार नहीं देती? कश्मीर में राज्याधिकार बहाल करना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि भारत का कद और प्रभाव सिर्फ सैन्य ताकत या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति से नहीं बढ़ता, बल्कि उसकी नैतिक शक्ति और मानवता से भी बढ़ता है। उन्होंने साल 1955 में एशियाई और अफ्रीकी देशों द्वारा एकजुट होकर औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ हुए बाडुंग सम्मेलन की याद दिलाते हुए कहा कि बाडुंग सम्मेलन की बरसी पर देश में कोई कार्यक्रम नहीं मनाया गया। हमने उसे बिसरा दिया। कहां आ गए हैं हम। सरकार ने उस ऐतिहासिक क्षण को बिसरा दिया।

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