पुराने वाहन मामले में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध में ढील देने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगी।
सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के मद्देनजर अपनाये गये कड़े उपायों और बड़ी संख्या में लोगों होने वाली परेशानियों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से 2018 के प्रतिबंध से संबंधित अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया है कि प्रतिबंध से प्रदूषण मानकों का पालन करने वाले वाहनों के मालिकों को व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
सरकार ने ‘एम सी मेहता बनाम भारत सरकार’ मामले में एक आवेदन के जरिए शीर्ष अदालत से यह गुहार लगायी है। आवेदन में कहा गया है कि अब प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी उपाय के तहत प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र प्रणाली का अधिक से अधिक पालन के साथ-साथ भारत स्टेज (बीएस)-छह मानकों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
सरकार का कहना है कि शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश का पालन करते हुए 2020 में बीएस-छह प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन अनिवार्य कर दिया गया था।
याचिका में कहा गया है, “ बीएस-छह इंजन बेहद कम प्रदूषण फैलाती हैं। अगर माननीय न्यायालय का 29 अक्टूबर 2018 का आदेश लागू रहा तो सड़कों पर चलने योग्य (प्रदूषण-मुक्त बीएस-छह) वाहन को भी कुछ ही वर्षों में बिना किसी ठोस वैज्ञानिक आधार के सड़कों से हटाने पड़ेंगे। इससे बड़ी संख्या में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।”
सरकार ने संबंधित पुराने वाहनों के पक्ष में यह भी दलील दी है कि प्रदूषण कम करने के लिए विभिन्न अन्य उपायों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार हर संभव उपाय कर रही है।

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