खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, करियर के रूप में भी देखें युवाः गडकरी

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नागपुर{ गहरी खोज }: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज विदर्भ एडवेंचर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘खेल एक कैरियर सेमिनार’ को संबोधित करते हुए कहा कि देश में युवाओं को खेल को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि करियर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार खेल के मैदानों को प्रोफेशनल तरीके से विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। उनका लक्ष्य है कि खेल की बुनियादी सुविधाएं, जैसे कि स्टेडियम, स्पोर्ट्स क्लब और प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक और सभी के लिए सुलभ हों।
गडकरी ने कहा कि नागपुर में वे स्वयं ऐसे क्लब और स्टेडियम बनाना चाहते हैं, जो 5 सितारा सुविधाओं से लैस होंगे और जहां खो-खो, कबड्डी, फुटबॉल, वॉलीबॉल जैसे खेलों की अच्छी शिक्षा दी जाएगी। इस तरह के क्लब से जो भी आय होगी, उसका उपयोग और स्टेडियम बनाने में किया जाएगा, ताकि गरीब तबके के बच्चे भी खेलों से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि जब तक खेल और प्रशिक्षण के बीच मजबूत संयोजन नहीं बनेगा, तब तक देश को अच्छे खिलाड़ी नहीं मिल सकते। हर खेल में उच्च गुणवत्ता के प्रशिक्षण की आवश्यकता है, तभी युवा उसमें करियर बना सकेंगे। सत्ता, शक्ति और सौंदर्य अस्थायी होते हैं और समय के साथ इनका प्रभाव कम होता है। उन्होंने अमिताभ बच्चन का उदाहरण देते हुए कहा कि बहुत कम लोग होते हैं जो उम्र बढ़ने के बाद भी उतनी ही ऊर्जा और प्रभाव के साथ सक्रिय रहते हैं। इसलिए युवाओं को खेल के साथ-साथ अपनी फिटनेस पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि वे 75 से 80 साल की उम्र तक भी सक्रिय और स्वस्थ रह सकें।
उन्होंने कहा कि जब जीवन के अच्छे दिन हों तभी से अपनी सेहत के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि बुरे वक्त में कोई साथ नहीं देता। वह नागपुर में 300 खेल स्टेडियम बनाना चाहते हैं लेकिन सरकार से यह काम जल्दी नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने वैकल्पिक रास्तों पर विचार किया। उन्होंने कहा कि दुबई से आए एक व्यक्ति के साथ चर्चा के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि वे टेंडर निकाल कर उसे 15 साल के लिए स्टेडियम चलाने का कॉन्ट्रैक्ट देंगे। इस व्यवस्था के तहत बिजली, पानी और चेंजिंग रूम की व्यवस्था की जाएगी और खेलने वालों से न्यूनतम फीस ली जाएगी ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि हाल ही में उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें देश के 60 किसान अमेरिका जाकर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों से प्रशिक्षण लेने गए। इस दौरान मैंने भी स्पेन में संतरे की खेती से जुड़े एक वर्कशॉप की शूटिंग कर उसे नागपुर में प्रस्तुत किया। इस वर्कशॉप की टिकट 250 रुपये रखी गई। इसके बावजूद 650 लोग उसमें शामिल हुए। यह वर्कशॉप लाभ के लिए नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य यह समझाना था कि मुफ्त में मिलने वाली चीजों का मूल्य नहीं समझा जाता। इसलिए किसी भी सेवा या ज्ञान के लिए एक न्यूनतम मूल्य जरूर होना चाहिए।

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